Lock Down में न बज रहा बैंड, न शहनाई, घंटे भर में पूरे हो रहे विवाह के रस्म
देश में 17 मई तक लॉकडाउन की स्थिति है और उक्त तिथि के बाद भी लॉकडाउन की समाप्ति होगी या फिर इसे विस्तारित किया जायेगा. इस पर सस्पेंस बरकरार है. मगर तीन चरणों तक बढ़ी लॉकडाउन की स्थिति ने वैसे लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है, जिन्होंने अपने घरों में मई व जून में विवाह की तिथियां निर्धारित की थी
दिघवारा : देश में 17 मई तक लॉकडाउन की स्थिति है और उक्त तिथि के बाद भी लॉकडाउन की समाप्ति होगी या फिर इसे विस्तारित किया जायेगा. इस पर सस्पेंस बरकरार है. मगर तीन चरणों तक बढ़ी लॉकडाउन की स्थिति ने वैसे लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है, जिन्होंने अपने घरों में मई व जून में विवाह की तिथियां निर्धारित की थी. शादी की तिथि सेट करने के समय ऐसी कोई स्थिति नहीं थी. मगर जब से डेट का निर्धारण हुआ है, तब से लॉकडाउन की स्थिति बनी और इसमें कई बार विस्तार हुआ. वर व कन्या पक्ष के लोग लगातार टेंशन में हैं और यह सोचकर चिंतित हैं कि मई की जिन तिथियों में उन लोगों ने अपने बेटे और बेटियों की शादियों की तिथि का निर्धारण किया है क्या उस तिथि पर विवाह संभव हो पाएगा.
विवाह में प्रयोग में आने वाले सामानों की खरीद कैसे होगी, कैसे बरात दुल्हन के घर तक पहुंच सकेगी. गाड़ियों का इंतजाम कैसे होगा और कन्या पक्ष के लोग अपने यहां पहुंचे बरातियों का स्वागत कैसे कर पायेंगे. आदि सवाल वर व कन्या दोनों पक्षों के लोगों को खूब परेशान कर रहा है, मगर इसी स्थिति के बीच एक ऐसी स्थिति में बन रही है जिसे देख कर चट मंगनी पट ब्याह वाली उक्ति चरितार्थ होती दिख रही है. पिछले एक सप्ताह के अंदर दिघवारा अंचल अधीन कई जगहों पर ऐसी शादियां संपन्न हुई है जो लोगों के बीच जुबानी चर्चा में है.
रविवार की सुबह आमी के अंबिका भवानी मंदिर में वर व कन्या पक्ष के लोग पहुंचे और सात फेरे लेने के बाद घंटे भर के अंदर विवाह संपन्न हो गया. सैदपुर का दूल्हा व मकेर की दुल्हन ने अग्नि के सात फेरे लिए और मां अंबिका के दर्शन के बाद आपस में शादी रचा ली. इतना ही नहीं अंचल में कई जगहों पर दूल्हा समेत पांच या छह बराती के साथ ही बरात प्रस्थान हुआ तो वहीं कन्या पक्ष वालों के घर भी चुनिंदें लोग ही दूल्हे राजा के साथ बराती के रूप में पहुंचे और जल्दी-जल्दी छिपे छिपे लोग ब्याह रचा कर अपने अपने घरों तक वापस लौट गये.
बरात में आने वाले लोगों की स्वागत की हसरत भी अधूरी रह गयी तो वही दुल्हन के घर वाले भी चाह कर भी तैयारियों को भव्य रूप नहीं दे सके, जिसका मलाल उन लोगों के अंदर भी दिखा. वैसे लोग जिनके यहां विवाह करना बहुत जरूरी है वैसे लोग नवंबर दिसंबर का इंतजार करने के बदले मई में ही किसी तरह शादी का कोरम पूरा कर अपने बेटे बेटियों को विवाह के बंधन में बांधकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर दिया.