Lockdown के बाद आर्थिक तंगी की मार! बरेली में 4200 बच्चों ने कॉन्वेंट छोड़ सरकारी स्कूलों में कराया नामांकन
UP School Admission: हालांकि, विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस वर्ष करीब बारह हजार छात्रों के एडमिशन हुए हैं. इसमें से पांच हजार के लगभग वे स्टूडेंट्स हैं,जो पहले कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूल पढ़ रहे थे.
हर इंसान अपने बच्चे को बड़े से बड़े और अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहता है, लेकिन पिछले दो साल से आ रही कोरोना वायरस की लहर से बचाव को लगने वाले लॉकडाउन ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है. लाखों लोगों की जान लेने वाले कोरोना के कारण तमाम लोगों की नौकरियां भी चली गई.इसलिए बरेली में कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलाने को भीड़ लगने लगी है.शहर के करीब 4255 छात्रों ने बड़े कान्वेंट स्कूलों से नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया है.
कोरोना वायरस से बचाव को लगे लॉकडाउन ने लोगों के घर का आर्थिक बजट बिगाड़ा है. कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले पेरेंट्स को पहले लॉकडाउन में स्कूल फीस माफ होने या कम होने की उम्मीद थी. मगर,स्कूलों की ओर से पेरेंट्स को कोई राहत नहीं दी गई. जिसके चलते कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के नाम कटने का सिलसिला शुरू हो चुका है.
पेरेंट्स अपने बच्चों के सरकारी स्कूलों में एडमिशन करा रहे हैं. यह फैसला घर का बजट बिगड़ने के साथ-साथ सरकारी स्कूलों की बदलती सूरत को भी माना जा रहा है. क्योंकि, शहर के दर्जनभर से अधिक सरकारी स्कूल के भवन और शिक्षण व्यवस्था को कॉन्वेंट-प्राइवेट की तर्ज पर विकसित किया गया है.इसीलिए सरकारी स्कूलाें में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 3,54,872 हो गई है, जो पिछले साल कम थीं,
हालांकि, विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस वर्ष करीब बारह हजार छात्रों के एडमिशन हुए हैं. इसमें से पांच हजार के लगभग वे स्टूडेंट्स हैं,जो पहले कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूल पढ़ रहे थे. कोराेना काल में जब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों का खर्च नहीं झेल सके तो उन्होंने सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का प्रवेश कराया है.
यह कहते हैं संचालक- शहर के सिविल लाइंस के एक स्कूल संचालक ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद छात्रों की संख्या पांच फीसद तक घट गई है.इसका कारण कई बच्चों का आसपास के सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना रहा हैं. पहली बार ऐसा हुआ कि इतनी बढ़ी संख्या में छात्रों ने निजी स्कूल से किनारा किया हो.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद