लॉकडाउन में घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से दरभंगा पहुंची 15 साल की लड़की, मुसीबत का सफर तय करने के बाद लिया ये संकल्प
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच अन्य प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों के अपने राज्य लौटने का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में प्रवासी कामगारों के हौसले की एक कहानी बिहार के दरभंगा से सामने आयी है. अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर पंद्रह साल की एक लड़की हरियाणा के गुरुग्राम से दरभंगा पहुंच गयी.
दरभंगा : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच अन्य प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों के अपने राज्य लौटने का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में प्रवासी कामगारों के हौसले की एक कहानी बिहार के दरभंगा से सामने आयी है. अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर पंद्रह साल की एक लड़की हरियाणा के गुरुग्राम से दरभंगा पहुंच गयी.
दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे. हालांकि वे दुर्घटना के शिकार हो गये. सूचना मिलने के बाद अपने पिता की देखभाल के लिये 15 वर्षीय ज्योति कुमारी वहां चली गयी थी. इसी बीच कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी बंदी हो गयी. आर्थिक तंगी के मद्देनजर ज्योति के साइकिल से अपने पिता को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की ठानी. कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर Breaking News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
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पिता ने अपनी बेटी की जिद पर कुछ रुपये उधार लिये और एक पुरानी साइकिल खरीदी. ज्योति अपने पिता को इस पुरानी साइकिल के कैरियर पर एक बैग लिये बिठाया और 8 दिनों की लंबी और कष्टदायी यात्रा के बाद अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची है. गांव से कुछ दूरी पर अपने पिता के साथ एक पृथक-वास केंद्र में रह रही ज्योति अब अपने पिता के हरियाणा वापस नहीं जाने को कृतसंकल्पित है. वहीं, ज्योंति के पिता ने कहा कि वह वास्तव में मेरी “श्रवण कुमार” है.
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