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Lockdown in Bihar : पति को मुखाग्नि के बाद कौशल्या ने पढ़े मंत्र, द्वादशा पर किया पिंडदान, गांव नहीं पहुंच सके दोनों पुत्र

पूरे देश में लगे 21 दिनों के लॉक डाउन में मधुबनी जिले के झंझारपुर के एक गांव में पति की मौत के सदमे से जूझ रही कौशल्या देवी पति के अंतिम संस्कार के लिए बेटों के घर नहीं पहुंच पाने पर बड़ा फैसला किया. उन्होंने पति को ना सिर्फ मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार के बाद श्राद्ध कर्म भी किया. पंडितों के मंत्रोच्चार पर शास्त्रों कें अनुसार विधि विधान पूर्वक पिंडदान किया, जिससे पति को सद्गति मिल सके. मामला लखनौर थाना क्षेत्र के बेलौंचा गांव की है.

झंझारपुर : पूरे देश में लगे 21 दिनों के लॉक डाउन में पति की मौत के सदमे से जूझ रही कौशल्या देवी पति के अंतिम संस्कार के लिए बेटों के घर नहीं पहुंच पाने पर बड़ा फैसला किया. उन्होंने पति को ना सिर्फ मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार के बाद श्राद्ध कर्म भी किया. पंडितों के मंत्रोच्चार पर शास्त्रों कें अनुसार विधि विधान पूर्वक पिंडदान किया, जिससे पति को सद्गति मिल सके. मामला लखनौर थाना क्षेत्र के बेलौंचा गांव की है.

जानकारी के मुताबिक, पिछले 26 मार्च को बेलौंचा गांव के 65 वर्षीय अशर्फी मंडल की मौत हृदयगति रुक जाने से हो गयी थी. लॉक डाउन के कारण उनके दो पुत्र अशोक मंडल और मनोज मंडल अपने पिता को मुखाग्नि नहीं दे पाये. शव को दाह संस्कार के लिए एक दिन रखा भी गया था. पुत्र और पुत्री को नहीं आते देख अशर्फी मंडल की पत्नी कौशल्या देवी ने पति को मुखाग्नि दी. अशर्फी मंडल को दो पुत्र एवं चार पुत्रियां है. लेकि, अंतिम संस्कार में कोई नहीं पहुंच पाया.

पुत्र और पुत्री के नहीं पहुंचने पर अशर्फी मंडल की पत्नी कौशल्या देवी ने पंडितों एवं ग्रामीणों से राय-मशविरा कर पति को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया. सोमवार को अशर्फी मंडल का द्वादशा कर्म था. कर्म भी कौशल्या के द्वारा संपन्न कराया गया. विपदा की घड़ी में भोज में गिने-चुने लोगों को ही निमंत्रण दिया गया. भोज में सोशल डिसटेंस का भी पालन किया जा रहा है. कौशल्या कहती है कि उनके बड़े पुत्र अशोक वृंदावन में मजदूरी करता है. वहीं, छोटा पुत्र मनोज मुंबई में मजदूरी करता है. इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. पति के निधन के बाद सांसद प्रतिनिधि कुंदन ठाकुर ने दो हजार रुपये एवं 25 किलो चावल मुहैया कराया. ग्रामीणों द्वारा भी मुसीबत की इस घड़ी में मदद की गयी.

ग्रामीणों ने बताया कि पूरे विश्व में फैले कोरोना वायरस से बचने के लिए अभी तक समुचित उपाय नहीं ढूंढ़े जा सके हैं. लोग घरों में दुबके हुए हैं. इस घड़ी में अशर्फी मंडल की मौत ने ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया. लोग मदद भी करना चाहते हैं. लेकिन, कोरोना की वजह से समुचित मदद नहीं कर पा रहे हैं. इसका ग्रामीणों को मलाल रहेगा. सांसद प्रतिनिधि कुंदन ठाकुर ने कहा कि है यह उन लोगों का दायित्व था, जिसका निर्वहन किया है. द्वादश कर्म कराने आये पंडित नंद किशोर झा ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि पुत्र और पुत्री के नहीं रहने की स्थिति में पत्नी को मुखाग्नि देने का अधिकार है.

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