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बड़े वाहनों के लिए परेशानी का सबब बना लोहरदगा का रोप वे ब्रिज, हिंडाल्को कंपनी और अधिकारियों ने साधी चुप्पी

लंबी दूरी तय कर अनेक वाहन लोहरदगा के रोप-वे ब्रिज के पास आ कर फंस जा रहे हैं और लाख प्रयासों के बाद भी वे इस मार्ग से नहीं गुजर पाते हैं. लाचारी में उन्हें वापस लौटना पड़ता है.

लोहरदगा, गोपी/संजय:

नेशनल हाइवे रांची मुंबई मार्ग में लोहरदगा शहर में रेलवे साइडिंग के पास स्थित हिंडाल्को कंपनी का रोप वे ब्रिज आज परेशानी का कारण बन गया है. इस रोप वे ब्रिज की वजह से अनेक ऊंचे और बड़े वाहन इस स्थान से नहीं गुजर पाते हैं. चूंकि शहर की सड़कें लगातार ऊंची होती जा रही है और रोपवे और सड़क के बीच की ऊंचाई कम होती जा रही है.

स्थिति यह है कि लंबी दूरी तय कर अनेक वाहन यहां आ कर फंस जा रहे हैं और लाख प्रयासों के बाद भी वे इस मार्ग से नहीं गुजर पाते हैं. लाचारी में उन्हें वापस लौटना पड़ता है. सड़क सुरक्षा की बैठक में कई बार इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. अधिकारियों ने भी इस मामले में अब चुप्पी साध ली है क्योंकि हिंडाल्को कंपनी इस मामले में कुछ भी नहीं करता है.

कनाडा की एलकेन ग्रुप ने कराया था रोपवे का निर्माण :

लोहरदगा मुख्य पथ में स्थित इस रोपवे का निर्माण कनाडा की एलकेन ग्रुप द्वारा 1945-46 में शुरू किया गया था, जो 1951 में तैयार हो गया. यहां वर्ष 1939-40 में अंग्रेजों द्वारा बगडू में बाक्साइट माइनिंग का काम शुरू किया गया था.16 किलो मीटर लंबे इस रोपवे से बगडू बाक्साइट माइंस से बाक्साइट ला कर रेलवे स्टेशन के पास स्थित अनलोडिंग स्टेशन में खडी मालगाड़ी में गिराया जाता था जो मुरी स्थित इंडाल कंपनी की फैक्ट्री में जाती थी. वर्ष 2004 मे इंडाल कंपनी को हिंडाल्को ने खरीद लिया और ये रोपवे भी हिंडाल्को के अधीन आ गया.

रोप वे ब्रिज निर्माण का क्या है नियम :

सड़क 16 फीट की उंचाई तक बिलकुल फ्री होनी चाहिये. लेकिन यहां वैसी बात नहीं है. शहर के बीचों बीच स्थित इस रोपवे ब्रिज के कारण यहां अक्सर सड़क जाम की समस्या उत्पन्न होती है.

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