Lohri 2022: कल मनाया जाएगा लोहड़ी का त्योहार, यहां जानें लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त
Lohri 2022: कल पूरे देश में लोहड़ी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाएगा. लोहड़ी के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और लोक-गीत गाकर जश्न मनाते हैं.
Lohri 2022: 13 जनवरी को पूरे देश में लोहड़ी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाने वाला है. लोहड़ी परंपरागत रूप से रबी फसलों की फसल से जुड़ा हुआ है और यह किसान परिवारों में सबसे बड़ा उत्सव भी है. इस त्योहार की खासियत है कि इसमें किसी प्रकार का पूजन या कोई व्रत जैसा कोई नियम नहीं होता बल्कि लोहड़ी के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और लोक-गीत गाकर जश्न मनाते हैं.
Lohri 2022: लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त
13 जनवरी को सायं 5 बजे के बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा.
लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त आरंभ: सायं 5:43 मिनट से आरंभ
लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त समाप्त: सायं 7: 25 मिनट तक
Lohri 2022: लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोहड़ी के दिन आग जलाने को लेकर माना जाता है कि यह आग्नि राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है. एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया और इसमें अपने दामाद शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया. इस बात से निराश होकर सती अपने पिता के पास और पूछा कि उन्हें और उनके पति को इस यज्ञ में निमंत्रण क्यों नहीं दिया गया.
इस बात पर अहंकारी राजा दक्ष ने सती और भगवान शिव की बहुत निंदा की. इससे सती बहुत आहत हुईं और क्रोधित होकर खूब रोईं. उनसे अपने पति का अपमान नहीं देखा गया और उन्होंने उसी यज्ञ में खुद को भस्म कर लिया. सती के मृत्यु का समाचार सुन खुद भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न कर उसके द्वारा यज्ञ का विध्वंस करा दिया. तब से माता सती की याद लोहड़ी को आग जलाने की परंपरा है.
Lohri 2022: पूजा विधि
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लोहड़ी जलाने से पूर्व जहां लोहड़ी स्थापित कि है वहां पश्चिम दिशा में आदिशक्ति कि तस्वीर स्थापित करें. लोहड़ी पर भगवान श्रीकृष्ण, आदिशक्ति और अग्निदेव की आराधना की जाती है.
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इसके उपरांत उनके समक्ष सरसों तेल का दीपक जलाएं.
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उन्हें सिंदूर और बेलपत्र अर्पित करें.
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भोग के दौरान श्रीकृष्ण और अग्निदेव का भी आह्वान कर उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाएं.
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इसके बाद सूखा नारियल लेकर उसमें कपूर डालें.
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अप लोहड़ी में अग्नि प्रज्ज्वलित करें.
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इसके उपरांत उसमें तिल का लड्डू, मक्का और मूंगफली अर्पित करें.
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और अंत में लोहड़ी की परिक्रमा करें. परिक्रमा 7 या 11 होनी चाहिए.