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Lohri 2023: लोहड़ी पर करें अग्निदेव और श्रीकृष्ण की आराधना, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

Lohri 2023: इस बार लोहड़ी पर्व 14 जनवरी, शनिवार को मनाया जाएगा. पहले के समय में ये त्योहार हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली आदि इलाकों में मनाया जाता था, लेकिन अब इसे देश के अन्य हिस्सों में भी लोग मनाते हैं.

By Shaurya Punj | January 14, 2023 11:11 AM

Lohri 2023:  मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) की पूर्व संध्या पर लोहड़ी (Lohri 2023) का पर्व मनाया जाता है.आमतौर पर ये पर्व 13 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार ये पर्व 14 जनवरी, शनिवार को मनाया जाएगा. पहले के समय में ये त्योहार हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली आदि इलाकों में मनाया जाता था, लेकिन अब इसे देश के अन्य हिस्सों में भी लोग मनाते हैं.

जानें लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी के पर्व की परंपरा को समझने के लिए इसके अर्थ को समझना होगा.ये शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है.इसमें ‘ल’ का अर्थ है लकड़ी ‘ओह’ का अर्थ है गोहा यानी सूखे उपले और ‘ड़ी’ का मतलब यहां रेवड़ी से है.इसलिए लोहड़ी पर उपलों और लकड़ी की मदद से अग्नि जलायी जाती है.

लोहड़ी 2023 मुहूर्त (Lohri 2023)

लोहड़ी को लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है.इस दिन और रात में सिख और पंजाबी समुदाय के लोग आग जलाते हैं और उसमें गेहूं की मोमबत्तियां चढ़ाते हैं.इस साल लोहड़ी का मुहूर्त 08 बजकर 57 मिनट पर है.

इस विधि से करें श्रीकृष्ण की पूजा (Lohri worship method)

लोहड़ी पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ अग्निदेव की पूजा का भी विधान है.लोहड़ी की शाम को किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें.भगवान की विधि-विधान से पूजा करें.शुद्ध घी का दीपक लगाएं.फूलों की माला पहनाएं.माखन-मिश्री का भोग लगाएं.इस तरह श्रीकृष्ण की पूजा के बाद फिर जलती हुई अग्नि में तिल, सूखा नारियल, मक्के के दाने आदि चीजें सर्मपित करें और अग्नि की 7 या 11 परिक्रमा करें.इस तरह श्रीकृष्ण और अग्नि की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.

लोहड़ी पर सुनते हैं दुल्ला भट्टी की कहानी

लोहड़ी की आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है.

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