लोकसभा चुनाव 2024: बरेली से संजय दत्त और स्वरा भास्कर की चर्चा, I-N-D-I-A की मुंबई बैठक में तय होगा नाम
संजय दत्त ने करीब पांच साल जेल में सजा काटी. अच्छे बर्ताव के कारण उन्हें आठ महीने पहले ही रिहा कर दिया गया था. कोई भी व्यक्ति अपनी सजा पूरी करने के बाद भी छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है. मगर, संजय दत्त का ये समय वर्ष 2021 में पूरा हो चुका है.
Bareilly News: लोकसभा चुनाव 2024 में जीत हासिल करने को सभी सियासी दल जुटे हैं. इसमें कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने I-N-D-I-A ‘Indian National Democratic Inclusive Alliance’ यानी भारतीय राष्ट्रीय विकासवादी समावेशी गठबंधन बनाया है. I-N-D-I-A में करीब 26 दल, तो वहीं भाजपा केNational Democratic Alliance (NDA) में 38 दल हैं.
I-N-D-I-A गठबंधन एक-एक लोकसभा सीट जीतने की कोशिश में है. इसके लिए मंथन शुरू कर दिया गया है. खास फोकस यूपी की 80 लोकसभा सीट पर है. कांग्रेस यूपी की लोकसभा सीटों को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ चिंतन मंथन कर रही है. सूत्रों की माने तो बरेली, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, गोरखपुर और आगरा को लेकर खास रणनीति बनाई जा रही है. यह सभी सीट भाजपा के पास हैं.
I-N-D-I-A सबसे मुश्किल सीट बरेली, वाराणसी को मान रहा है.क्योंकि, वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी सांसद हैं, तो वहीं बरेली लोकसभा सीट से भाजपा के आठ बार के सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस, सपा और बसपा सभी जातियों के अलग प्रत्याशी उतार चुकीं है. मगर, जीत हासिल नहीं कर पाई है. इसलिए किसी सेलिब्रेटी पर दांव लगाने की कोशिश की जा रही है. यहां से फिल्म स्टार संजय दत्त और स्वरा भास्कर को चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा तेज है.
सजा होने के बावजूद इस वजह से चुनाव लड़ सकते हैं संजय दत्त
संजय दत्त को 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में अवैध हथियार रखने के लिए आरोपी करार किया गया था. इन्हें पुणे की यरवदा जेल में रखा गया. संजय दत्त ने करीब पांच साल जेल में सजा काटी. लेकिन, अच्छे बर्ताव के कारण उन्हें आठ महीने पहले ही रिहा कर दिया गया था. सजा प्राप्त व्यक्ति अपनी सजा पूरी करने के बाद भी छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है. मगर, संजय दत्त का ये समय वर्ष 2021 में पूरा हो चुका है.
कुछ वर्ष पूर्व लोकसभा ने इस संबंध में विधि एवं न्याय मंत्री ने विधेयक पेश किया था. इसमें जनप्रतिनिधित्व कानून में अभी यह प्रावधान है कि सजायाफ्ता व्यक्ति सजा सुनाए जाने के दिन से छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिया जाता है. इस संशोधन के बाद कानून में यह प्रावधान हो गया है कि सजा पूरी करने के बाद भी छह वर्ष तक वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा.
संजय दत्त के पिता और बहन रह चुके हैं लोकसभा सांसद
संजय दत्त के पिता सुनील दत्त मुंबई की लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं, तो वहीं उनकी बेटी प्रिया दत्त भी पूर्व सांसद हैं. कुछ वर्ष पूर्व संजय दत्त भी सपा के साथ नजर आए थे. उन्होंने सपा के साथ राजनीति शुरू की थी. संजय दत्त पूर्व राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के साथ बरेली आए थे.उस वक्त पार्टी ने उनको महासचिव बनाया था. मगर, अब उनको बरेली लोकसभा में चुनाव लड़ने की तैयारी चल रही है. उनका परिवार कांग्रेस में ही रहा है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के सहारे बरेली लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनना तय है.
जानिए संजय दत्त के इस केस में कब क्या हुआ
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19 अप्रैल 1993: संजय दत्त को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया और उनके घर पर तलाशी के दौरान एक एके-56 रायफल जब्त की थी.
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26 अप्रैल 1993: संजय दत्त ने पुलिस को पूरा सच बताया था. 3 मई 1993 को वे जमानत पर रिहा हुए.
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4 मई 1994: संजय की जमानत रद्द हुई और उन्हें दोबारा गिरफ्तार किया गया.
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16 अक्तूबर 1995: 16 महीने जेल में रहने के बाद मिली जमानत.
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दिसंबर 1995: संजय को फिर गिफ्तार किया गया और 1997 में रिहाई मिली.
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28 नवंबर 2006: संजय दत्त आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाए गए. लेकिन, उन्हें टाडा एक्ट से जुड़े सभी मामलो से बरी कर दिया किया गया.
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31 जुलाई, 2007: एक्टर को गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने के जुर्म में छह साल की सजा सुनाई गई.
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21 मार्च 2013: सुप्रीम कोर्ट ने टाडा कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए संजय दत्त को सजा सुनाई. लेकिन, सजा की अवधि कम कर उसे पांच साल कर दिया. इसके बाद वह वर्ष 2014 और 2015 में कुछ दिन की छुट्टी पर जेल से बाहर भी आए. दिसंबर 2014 में दो सप्ताह और अगस्त 2015 में 30 दिन के लिए उन्हें छुट्टी मिली थी. वर्ष 2016 में अच्छे व्यवहार के कारण उन्हें समय से पहले उनको रिहा किया गया था.
स्वरा भास्कर का नाम भी चर्चा में
उनके साथ ही कुछ समय पूर्व बरेली के बहेड़ी निवासी फहद अहमद के साथ शादी करने वाली स्वरा भास्कर का नाम भी चर्चा में है. उनको भी बरेली लोकसभा से प्रत्याशी बनाया जा सकता है. इन दोनों नाम पर फैसला 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होने वाली I-N-D-I-A गठबंधन की बैठक में फैसला किया जाएगा. इसके लिए दोनों फिल्म एक्टर्स से बात करने की उम्मीद है.
जादू की झप्पी पर विवाद
फिल्म एक्टर संजय दत्त 2009 का चुनाव भी लड़ना चाहते थे. लेकिन, उस वक्त सियासी हालात नहीं बन पाए थे. वह अमर सिंह के माध्यम से सियासत में आ रहे थे. लेकिन, सपा से अमर सिंह के रिश्ते खराब हो गए थे. उन्होंने उस दौरान एक रैली में उस समय की उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ एक आपत्तिजनक बयान दे दिया. उन्होंने एक रैली के दौरान कह दिया था की वह मायावती को ‘जादू की झप्पी और पप्पी देंगे’. संजय दत्त के इस बयान पर खूब बवाल हुआ. संजय दत्त के इस बयान के बाद उन पर मामला भी दर्ज हो गया था. लेकिन, बाद में संजय दत्त ने यह कहते हुए माफी मांग ली थी कि मायावती उनकी बहन की तरह हैं.
सपा-बसपा का नहीं खुला खाता
बरेली लोकसभा सीट पर सपा-बसपा हर बार प्रत्याशी उतारती हैं. लेकिन, एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है. पिछली बार दोनों दल गठबंधन के साथ चुनाव लड़े थे. इसके बाद भी सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी की 1.67 लाख वोटों से हार हुई थी.
सांसद संतोष गंगवार ने लगाई डबल हैट्रिक
यहां से कई बार सपा-बसपा मुस्लिम कैंडिडेट के साथ पिछड़ी जाति के कैंडिडेट को भी उतर चुकी है. मगर, भाजपा से यह सीट नहीं ले पाई. इस सीट पर पहले कांग्रेस का कब्जा था. मगर, वर्ष 1989 के चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी आबदा बेगम को भाजपा के संतोष गंगवार ने हराकर जीत हासिल की थी. इसके बाद से वह आठ बार सांसद रह चुके हैं.
उन्होंने 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 का लगातार चुनाव जीतकर डबल हैट्रिक बनाई थी. मगर, 2009 में कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन से करीब 9 हजार वोट से चुनाव हार गए थे. लेकिन, इसके बाद वर्ष 2014 और 2019 में फिर एक बार जीत हासिल की. वह 1996, 1998, 1999, 2004, 2014 और 2019 की सरकारों में मंत्री भी बने हैं. मगर, कुछ वर्ष पहले उनको हटा दिया गया था. इस बार भी उनको ही टिकट मिलना तय माना जा रहा है. उनके जातिगत समीकरणों के लिहाज से काफी बेहतर सीट है.
नहीं टिक पाए जाति के नेता भी
पूर्व सांसद संतोष गंगवार के खिलाफ उनकी कुर्मी बिरादरी से पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार, मास्टर छोटे लाल गंगवार को भी टिकट दिया. लेकिन, वह भी टिक नहीं पाए. पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार को पार्टी ने दो बार प्रत्याशी बनाया. लेकिन, वर्ष 2009 में सपा प्रत्याशी भगवत शरण गंगवार 73549 वोट मिले, तो वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में संतोष गंगवार को 565270 मत मिले, जबकि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी को भगवत शरण को 397888 वोट मिले थे. भाजपा उम्मीदवार ने सपा उम्मीदवार को 167282 मतों से शिकस्त दी थी.
कांग्रेस ने 2009 में दी थी शिकस्त, 2014 और 2019 में जमानत जब्त
यहां से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने भाजपा सांसद संतोष कुमार गंगवार को 2009 में करीब 9 हजार वोटों से चुनाव हरा दिया था. मगर, 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 74206 और 2014 लोकसभा चुनाव में 84213 वोट मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी.
बरेली लोकसभा के जातिगत समीकरण
बरेली लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. इसमें सबसे अधिक 7.50 लाख मुस्लिम, 3 लाख कुर्मी, 2.50 लाख एससी, 80 हजार वैश्य, 65 हजार कायस्थ, 32 हजार यादव और 45 हजार सिख वोट है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली