लोकसभा चुनाव 2024: भाजपा संगठन के ऐलान से बरेली-आंवला सीट के सांसदों का टिकट तय, जानें रेस से कौन हुआ बाहर

बरेली मंडल की पांच में से तीन सांसदों के टिकट काटने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि इसमें से पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी लगातार भाजपा पर हमलावर हैं, तो वहीं उनके विपक्ष के इंडिया गठबंधन की टीएमसी या जदयू से चुनाव लड़ने की चर्चा चल रही है.

By Sanjay Singh | September 17, 2023 6:16 PM
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Bareilly News: भाजपा ने जिला-महानगर संगठन का ऐलान कर दिया है. यह संगठन लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बनाया गया है. इसके लिए चुनावी समीकरण का ख्याल रखकर संगठन में जातियों को भी साधा गया है. यह संगठन ही लोकसभा चुनाव 2024 कराएगा.

पवन शर्मा को सौंपी गई जिला संगठन की कमान

बरेली में एक बार फिर जिला संगठन की कमान पवन शर्मा को दी गई है. इससे साफ हो गया है कि बरेली में ओबीसी (पिछड़ी जाति) का ही कैंडिडेट होगा. यहां ब्राह्मण जाति के कैंडिडेट को चुनाव में उतारने की चर्चा चल रही थी. मगर, अब पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद संतोष कुमार गंगवार का टिकट तय माना जा रहा है. हालांकि, मेयर का टिकट मांगने वाले महानगर अध्यक्ष डॉ.केएम अरोड़ा को हटा दिया गया है. उनके स्थान पर कायस्थ समाज के अधीर सक्सेना को महानगर अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की गई है.

संतोष कुमार गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप की दावेदारी हुई मजबूत

इससे साफ है कि कायस्थ समाज के दावेदार को भी टिकट नहीं मिलेगा. बरेली के जिला और महानगर अध्यक्ष के ऐलान से सांसद संतोष कुमार गंगवार के टिकट को लेकर उड़ रही अफवाह खत्म हो गई है. इसके साथ ही आंवला लोकसभा में ओबीसी के वीरपाल सिंह पाल को हटाकर आदेश प्रताप सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया गया है. मगर, क्षत्रिय बिरादरी जाति के आदेश प्रताप सिंह के जिलाध्यक्ष बनने से यह साफ हो गया है कि बरेली की तरह आंवला लोकसभा में भी ओबीसी जाति के कैंडिडेट को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा. यहां से सांसद धर्मेंद्र कश्यप को टिकट मिलना तय है.उनके भी टिकट कटने की अफवाह उड़ रही है.

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पीलीभीत से वरुण गांधी को टिकट मिलने पर संशय

बदायूं में राजीव गुप्ता को जिलाध्यक्ष बनाया गया है. इससे संदेश दिया गया है कि यहां भी ओबीसी कैंडिडेट को उतारा जाएगा. मगर, बदायूं लोकसभा की सांसद संघमित्रा मौर्य के बजाय यूपी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कैंडिडेट बनाने की तैयारी है. इसके साथ ही पीलीभीत में संजीव प्रताप सिंह और शाहजहांपुर में केसी मिश्रा को जिलाध्यक्ष बनाया गया है. मगर, यहां के सांसद अरुण सागर और पीलीभीत लोकसभा सीट से सांसद वरुण गांधी के टिकट पर तलवार लटकी हुई है.

बरेली मंडल में तीन सांसदों के टिकट कटने की चर्चा

बरेली मंडल की पांच में से तीन सांसदों के टिकट काटने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि इसमें से पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी लगातार भाजपा पर हमलावर हैं, तो वहीं उनके विपक्ष के इंडिया गठबंधन की टीएमसी या जदयू से चुनाव लड़ने की चर्चा चल रही है. सांसद अरुण सागर का टिकट उनके व्यवहार और संगठन द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर काटने की चर्चा है. इसी तरह बदायूं सांसद संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं एमएलसी हैं. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बयानबाजी को लेकर ही संघमित्रा मौर्य का टिकट काटने की चर्चा है.

संतोष गंगवार का ऐसा रहा सियासी सफर

बरेली लोकसभा सीट से सांसद संतोष कुमार गंगवार ने 70 के दशक में सियासी सफर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने 1980 में बरेली की भोजीपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. मगर, वह हार गए थे. इसके बाद 1984 में बरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस की बेगम आबिदा ने उन्हें शिकस्त दी. इसके बाद उन्होंने 1989 में कांग्रेस की बेगम आबिदा को लंबे अंतर से चुनाव हरा दिया.

इसके बाद से संतोष कुमार गंगवार ने 2009 तक लगातार जीत दर्ज की. वहीं 2009 में वह कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन से चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2014 में उन्होंने लंबे अंतर से एक बार फिर जीत हासिल की. संतोष गंगवार ने 2019 में भी सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी को करीब एक लाख से अधिक वोट से हराया. वह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई की सरकार सरकार में मंत्री रहे थे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोनों सरकार में भी मंत्री बने थे. मगर, कुछ वर्ष पहले ही उनको मंत्रीमंडल से हटा दिया गया.

धर्मेंद्र कश्यप दो बार के सांसद

आंवला लोकसभा सीट से सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने सियासी शुरुआत जिला पंचायत चुनाव से की थी. इसके बाद वह वर्ष 2000 में बसपा के टिकट पर सन्हा (बिथरी चैनपुर) विधानसभा सीट से विधायक बने थे. इसके बाद सपा में शामिल होकर यूपी में मंत्री बने थे. 2007 में उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव में जीत दर्ज की.

फिर 2009 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा, हालांकि भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी से करीबी मुकाबले में चुनाव हार गए. इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने शिकस्त मिली. फिर 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर सांसद बने थे. उन्होंने 2019 में भी जीत दर्ज की थी. अब एक बार फिर भाजपा से उनको टिकट मिलना तय माना जा रहा है.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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