रांची : कोरोना संकट की वजह से राज्य में लागू लॉकडाउन से किसान पहले से ही परेशान थे. इस बीच खेती-बारी के मौसम में यूरिया की ऊंची कीमत और कीटनाशकों की कमी ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. यह सब होलसेलरों की मनमानी की वजह से हो रहा है. हालत यह है कि एक बोरी यूरिया के लिए किसानों को 84 से 94 रुपये तक ज्यादा देने पड़ रहे हैं.
यूरिया की 45 किलोवाली बोरी की एमआरपी 266.50 रुपये है. जबकि, किसानों से प्रति बोरी के लिए 350 से 360 रुपये लिये जा रहे हैं. इस पर खुदरा दुकानदार अलग रोना रो रहे हैं. कहते हैं कि जब होलसेलर ही हमें महंगा यूरिया दे रहे हैं, तो हम क्या कर सकत हैं? खुदरा दुकानदारों की मानें, तो होलसेलरों से उन्हें एक बोरी यूरिया के लिए उन्हें 300 से 320 रुपये तक देने पड़ रहे हैं. गोदाम से दुकान तक बोरियां पहुंचाने का किराया अलग से देना पड़ता है. ऐसे में दाम बढ़ना तो लाजिमी है.
होलसेलरों की मनमानी से खुदरा दुकानदार भी परेशान : खुदरा दुकानदारों का कहना है कि होलसेलर उन्हें जीएसटी के साथ लगभग 259 रुपये का पक्का बिल दे रहे हैं. बाकी के पैसे वे अलग से ले रहे हैं. यही नहीं, खुदरा दुकानदारों को पांच टन यूरिया लेने पर लगभग 6,000 रुपये का सामान अलग से लेने का दबाव बनाया जाता है, जिसमें विटामिन, कीटनाशक और कैल्शियम जैसी चीजें शामिल होती हैं. जो खुदरा दुकानदार ये सामान नहीं ले रहे, उन्हें यूरिया भी नहीं दी जा रही है.
खुदरा दुकानदारों का आरोप
होलसेलर ही महंगा दे रहे हैं, तो हम क्या कर सकते हैं,खुदरा दुकानदारों को कम का पक्का बिल देते हैं होलसेलर
6000 रुपये मूल्य के अन्य सामान लेने पर ही पांच टन यूरिया दी जा रही दुकानदारों को
बोले अधिकारी
हालात पर हमारी नजर है. विभाग द्वारा उड़न दस्ता का गठन किया गया है. गड़बड़ी करनेवालों पर कार्रवाई होगी.
विकास कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी
10 दिनों से बाजार से कीटनाशक भी नदारद है
किसानों की समस्या यहीं खत्म नहीं होती है. पिछले 10 दिनों से बाजार से कीटनाशक दवा रोगर और एकालक्स भी नदारद है. छोटे कीड़े मारने के लिए रोगर तथा पत्तागोभी, फूलगोभी और बैंगन के पौधे में स्प्रे के लिए एकालक्स की जरूरत होती है. किसानों का आरोप है कि अभी बाजार में इन कीटनाशकों की बनावटी किल्लत दिखायी जा रही है. जबकि बाद में इन्हें ऊंची कीमत पर बेचा जायेगा.
इस समय खुदरा बाजार में यूरिया की बोरी एमआरपी से भी अधिक कीमत पर मिल रही है. खेती हमारी जीविका का जरिया है. कोई उपाय नहीं है, इसलिए महंगे में खरीद रहे हैं. क्या करें, इसकी निगरानी करनेवाला भी कोई नहीं है.
– ज्योतिंद्र साहू, किसान
महंगी कीमत के संबंध में पूछने पर खुदरा दुकानदार कहते हैं कि होलसेलर ही अधिक कीमत पर यूरिया दे रहे हैं, इसीलिए हम भी महंगी कीमत पर बेच रहे हैं. कीमत बढ़ने से केवल मैं ही नहीं कई और किसान भी परेशान हैं.
– ऋषभ, किसान
Post by : Pritish Sahay