Lord Jagnnath Rath yatra 2021 (शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला) : सरायकेला, खरसावां, हरिभंजा व चांडिल के जगन्नाथ मंदिरों में 9 जुलाई, 2021 (शुक्रवार) वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव होगा. मंदिरों में नेत्र उत्सव पूजा सीमित संख्या में पुरोहितों द्वारा सोशल डिस्टैंसिंग के साथ आयोजित की जायेगी. कोविड़-19 को लेकर इस वर्ष नेत्रोत्सव के दौरान भक्तों की जमघट नहीं लगेगा.
धार्मिक परंपरा के अनुसार, गत 24 जून को देवस्नान पूर्णिमा के दिन अत्याधिक स्नान से महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा बीमार हो गये थे. 14 दिनों तक अणसर गृह में एक तरह से कोरेंटिन में रख कर सेवायतों द्वारा गुप्त सेवा किया गया. अणसर पंचमी से लेकर अणसर दशमी तक रोजाना अलग अलग तैयार दवा दी गयी.
धार्मिक परंपरा के अनुसार, महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा अब पूरी तरह से स्वस्थ हो गये हैं. 9 जुलाई को नेत्र उत्सव के दिन प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन भक्तों को नये स्वरूप में दर्शन देंगे. करीब एक पखवाड़े के बाद शुक्रवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा दर्शन देंगे. इस वर्ष भी कोविड-19 को लेकर लगातार दूसरी बार नेत्र उत्सव पूजा सादगी के साथ होगी. शुक्रवार को ही चतुर्था मूर्ति के नव यौवन रूप के दर्शन होंगे.
Also Read: Indian Railways News : DRM से मिले चक्रधरपुर और जुगसलाई विधायक, अंडर पास की तकनीकी स्वीकृति की मांग
पौराणिक कथा के अनुसार, अणसर पंचमी के दिन बुखार से पीड़ित प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के शरीर से बुखार को दूर करने के लिए उपचार फुलुरी तेल अर्पित की गयी थी. एक मिट्टी के बर्तन में शहतूत, किआ, कुछ चावल और कुछ अन्य मीठी जड़ी- बूटियों के साथ सुगंधित फूलों को मिलाकर मिट्टी के बर्तन मालिश तेज बना कर प्रभु जगन्नाथ की मालिश कर बुखार उतारा जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, इन सभी फूलों और जड़ी-बुटी में शरीर को गर्म करने व बुखार को दूर करने की क्षमता होती है. प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा को जड़ी-बुड़ी से तैयार दवा के साथ साथ काढ़ा भी अर्पित की गयी थी.
14 दिनों तक प्रभु जगन्नाथ बलभद्र व देवी सुभद्रा का अणसर गृह में रहने के दौरान सेवायतों द्वारा गुप्त सेवा की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटी से तैयार दवा प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा को अर्पित की गयी. इस दवा में कृष्ण परणी, शाल परणी, अगीबथु, फणफणा, पाटेली, तिगोखरा, बेल, गम्हारी, लबिंग कोली, अंकरांती के औषधि हिस्सों को मिलाया गया था. इन औषधिय जड़ी-बूटी का आयुर्वेद में भी खासा जिक्र है. दशमूला हर्ब में एंटी प्रेट्रिक गुण होते हैं, जो तेज बुखार को ठीक करने के लिए लाभकारी होते हैं. यह शरीर के तापमान को सही रखता है. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को दशमूली दवा पिलाने के बाद भक्तों में भी इसे प्रसाद के रूप में वितरण किया गया. क्षेत्र में मान्यता है कि इस दवा के सेवन से लोग एक साल तक रोग-व्याधि से दूर रहते है.
खरसावां के हरिभंजा जगन्नाथ मंदिर में शुक्रवार को दिन में ही नेत्र उत्सव का आयोजन किया जायेगा. मंदिर के अणसर गृह में ही चतुर्था मूर्ति का नेत्र उत्सव सह नव यौवन रूप के दर्शन होंगे. इस दौरान मंदिर के दो-तीन पुरोहितों द्वारा सोशल डिस्टेंश में पूजा अर्चना कर सभई रश्मों को निभाया जायेगा. कोविड-19 को लेकर इस वर्ष नेत्र उत्सव पर किसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है. इसको लेकर मंदिर की रंगाई-पुताई की गयी है.
Also Read: चाईबासा में सक्रिय है मवेशी चोर गिरोह, 15 दिन में दर्जन भर गाय-भैंसों की हुई चोरी
खरसावां के राजवाड़ी स्थित जगन्नाथ मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के नेत्रोत्सव के सभी रश्म शुक्रवार रात को निभाये जायेंगे. मंदिर में राज पुरोहित व पूजारी के द्वारा पूजन, हवन आदि सभी धार्मिक रश्मों को निभाया जायेगा. इस दौरान प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के नये रुप में दर्शन होंगे. इसकी तैयारी कर ली गयी है.
सरायकेला के जगन्नाथ मंदिर में उत्कलिय परंपरा के अनुसार शुक्रवार की रात्रि को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव किया जायेगा. श्री जगन्नाथ सेवा समिति सरायकेला के अध्यक्ष सुधीर चंद्र दाश व सचिव कार्तिक परीक्षा ने बताया कि परंपराओं का निर्वाह करते हुए शुक्रवार को नेत्र उत्सव पूजन किया जायेगा. बताया गया कि इस वर्ष सभी पूजन कार्यक्रम सीमित संख्या में पूजारियों के जरीये परंपराओं का निर्वाह करते हुए संपन्न किया जायेगा.
चांडिल के साधु बांध मठिया दशनामी नागा सन्यासी आश्रम में शुक्रवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावाश्या तिथि पर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव आयोजित की जायेगी. सुबह 11 बजे से नेत्र उत्सव सह नव यौवन दर्शन पर हवन-पूजन किया जायेगा. साथ ही आरती उतारी जायेगी. नये वस्त्र पहनाये जायेंगे. कोरोना गाइड लाइन को पालन करते हुए इस वर्ष सादगी के साथ नेत्र उत्साव मनाया जायेगा. यह जानकारी देते हुए महंत विद्यानंद सरस्वती जी ने बताया कि कोरोना गाइडलाइंस को देखते हुए इस बार भी जगन्नाथ महाप्रभु का नेत्र उत्सव मनाया जाएगा. किसी प्रकार का कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं किया जायेगा.
Also Read: Green Ration Card News : हरा राशन कार्ड के लिए लगा स्पेशल कैंप, लाभुकों ने ऐसे किया आवेदन
Posted By : Samir Ranjan.