Loading election data...

Lord Jagannath Rath Yatra 2021 : अधिक स्नान करने से महाप्रभु जगन्नाथ हुए बीमार, जड़ी-बूटी से हो रहा इलाज, अणसर गृह में हो रही प्रभु की गुप्त सेवा

Lord Jagannath Rath Yatra 2021 (सरायकेला) : देवस्नान पूर्णिमा पर अध्याधिक स्नान से बीमार महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा का अणसर गृह में निरोग करने के लिए 14 दिन के एकांतवास में रखा गया. यह एकांतवास एक तरह से क्वारंटाइन की तरह है. इस दौरान भगवान को भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों का काढ़ा पिलाया जा रहा है. यहां पर 14 दिन तक महाप्रभु की गुप्त सेवा की जा रही है. देसी नुस्खों से उनका इलाज करने के साथ साथ विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटियों का काढ़ा और प्रसाद के रूप में मौसमी फलों का जूस दिया जा रहा है. इस दौरान भक्तों को महाप्रभु दर्शन नहीं हो रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2021 10:02 PM
an image

Lord Jagannath Rath Yatra 2021 (शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला) : देवस्नान पूर्णिमा पर अध्याधिक स्नान से बीमार महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा का अणसर गृह में निरोग करने के लिए 14 दिन के एकांतवास में रखा गया. यह एकांतवास एक तरह से क्वारंटाइन की तरह है. इस दौरान भगवान को भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों का काढ़ा पिलाया जा रहा है. यहां पर 14 दिन तक महाप्रभु की गुप्त सेवा की जा रही है. देसी नुस्खों से उनका इलाज करने के साथ साथ विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटियों का काढ़ा और प्रसाद के रूप में मौसमी फलों का जूस दिया जा रहा है. इस दौरान भक्तों को महाप्रभु दर्शन नहीं हो रहे हैं.

Lord jagannath rath yatra 2021 : अधिक स्नान करने से महाप्रभु जगन्नाथ हुए बीमार, जड़ी-बूटी से हो रहा इलाज, अणसर गृह में हो रही प्रभु की गुप्त सेवा 2

परंपरा के अनुसार, रविवार को अणसर दशमी के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा को जंगल की 10 जड़ी-बूटी से तैयार दवा खिलाया गया. 10 अलग-अलग जड़ी-बूटी से तैयार होने के कारण ही इस दवा का नाम दशमूली दवा पड़ा. परंपरा के अनुसार, इस दवा को खाने के दो-तीन दिन बाद प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के स्वास्थ्य से सुधार होने लगेगा. नेत्र उत्सव पर भक्तों को दर्शन देंगे. इस वर्ष 9 जुलाई को नेत्र उत्सव पर प्रभु के दर्शन होंगे.

शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है दशमूल हर्ब

दशमूला हर्ब में एंटी प्रेट्रिक गुण होते हैं, जो कि तेज बुखार को ठीक करने के लिए लाभकारी होते हैं. यह शरीर के तापमान को सही रखता है. दशमूल हर्ब को बनाने के लिए इन 10 जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें अग्निमंथ, गंभारी, बिल्व, पृश्निपर्णी, बृहती, कंटकारी, गोखरू, पटाला हर्ब, शालपर्णी और श्योनाक शामिल है. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को दशमूली दवा पिलाने के बाद भक्तों में भी इसे प्रसाद के रूप में वितरण किया गया. क्षेत्र में मान्यता है कि इस दवा के सेवन से लोग एक साल तक रोग-व्याधि से दूर रहते हैं. प्रभु जगन्नाथ के लिए दशमूल हर्ब खरसावां के कुम्हारसाही का दाश परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इसे तैयार करते आ रहे हैं.

Also Read: JAC 10th-12th Result 2021 : झारखंड में मैट्रिक- इंटर के 80 हजार स्टूडेंट्स के रिजल्ट पर मंडराने लगा संकट, जानें क्या है कारण दवा में शामिल होने वाला कृष्ण परणी दुर्लभ है

दशमूला दवा में शामिल किये जाना वाले कृष्ण परणी काफी दुर्लभ औषधीय पौधा माना जाता है. बड़ी मुश्किल से यह उपलब्ध हो पाता है. जंगलों में यह पौधे बिरले ही मिलते हैं. किसी साल कृष्ण परणी जंगल में काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिलते हैं. ऐसे में सूखे कृष्ण परणी से काम चलाया जाता है. इस बार प्रभु को जंगल से ताजा कृष्ण परणी लाकर दशमूला दवा के साथ अर्पित की गयी है.

पीतल के बर्तन में सुबह-शाम दे रहे काढ़ा

बीमार पड़े महाप्रभु के इलाज के क्रम में उन्हें सुबह-शाम काढ़ा बनाकर दिया जा रहा है. यह काढ़ा दालचीनी, सौंठ, काली मिर्च, तुलसी, अजवाइन, पीपली, दशमूला, मधु और घी मिलाकर बनाया जा रहा है. दिन में 2 बार गरम काढ़ा के साथ-साथ ही उन्हें 2 बार मौसमी फलों का रस भी दिया जा रहा है.

Posted By : Samir Ranjan.

Exit mobile version