Lord Jagannath Snana Purnima : महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान, पुरोहितों ने की स्नान यात्रा की रस्म अदायगी, श्रद्धालुओं की नहीं उमड़ी भीड़
Lord Jagannath Snana Purnima, Jharkhand News (सरायकेला) : चतुर्भुज जगन्नाथ कंठ शोभित कौसतुभः,पद्मनाभ, बेडगरवहस्य, चन्द्र सूरज्या बिलोचन, जगन्नाथ, लोकानाथ, निलाद्रिह सो पारो हरि दीनबंधु, दयासिंधु, कृपालुं च रक्षकः...जैसे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गुरुवार को पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर महाप्रभु जगन्नाथ समेत चतुर्था मूर्ति का महास्नान कराया गया. सरायकेला, खरसावां और चांडिल के जगन्नाथ मंदिरों में गुरुवार को पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर पूरी सादगी के साथ महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान कराया गया.
Lord Jagannath Snana Purnima, Jharkhand News (शचिंद्र दाश/प्रताप मिश्रा/हिमांशु गोप, सरायकेला) : चतुर्भुज जगन्नाथ कंठ शोभित कौसतुभः,पद्मनाभ, बेडगरवहस्य, चन्द्र सूरज्या बिलोचन, जगन्नाथ, लोकानाथ, निलाद्रिह सो पारो हरि दीनबंधु, दयासिंधु, कृपालुं च रक्षकः…जैसे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गुरुवार को पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर महाप्रभु जगन्नाथ समेत चतुर्था मूर्ति का महास्नान कराया गया. सरायकेला, खरसावां और चांडिल के जगन्नाथ मंदिरों में गुरुवार को पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर पूरी सादगी के साथ महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान कराया गया.
कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर जारी स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत इस बार भी मंदिरों में भक्तों की भीड कम रही. राजपुरोहित अंबुजाख्यो आचार्य व मंदिर के पूजारी राजराम सतपथी ने स्नान यात्रा पर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा के प्रतिमाओं को मंदिर से बाहर निकाल कर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की.
महास्नान के बाद तीनों प्रतिमाओं को मंदिर के अंदर ले जाकर रखा गया. इस दौरान खरसावां राजपरिवार की राजमाता विजया देवी, राजा गोपाल नारायण सिंहदेव, रानी अपराजिता सिंहदेव, पंडित राकेश दाश, विजय महतो, सुशील षाडंगी, सुमंत मोहंती समेत कई श्रद्धालु उपस्थित थे.
हरिभंजा के स्नान मंडप में 108 कलश पानी से जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन ने किया स्नानहरिभंजा के जगन्नाथ मंदिरों में पुरोहित पंडित प्रदीप कुमार दाश व पंडित भरत त्रिपाठी ने कोविड-19 को लेकर जारी निर्देशों का अनुपालन करते हुए सभी रश्मों को निभाया. यजमान के रूप में हरिभंजा के जमीनदार विद्या विनोद सिंहदेव ने पुरोहितों के साथ प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का 108 कलश पानी से महास्नान कराया गया. प्रभु जगन्नाथ को 35 कलश, बडे भाई बलभद्र को 42 कलश, बहन सुभद्रा को 20 कलश व सुदर्शन को 11 कलश पानी से सोशल डिस्टैंसिंग बना कर स्नान कराया गया.
इसके अलावा अगुरु, चंदन, गाय का घी, दूघ, दही, मधु, हल्दी आदि का लेप भी लगाया गया. परंपरा के अनुसार, अत्याधिक स्नान कर भगवान बीमार हो गये है तथा उपचार के लिए उन्हें मंदिर के अणसर गृह में रखा गया है. अब 15 दिनों तक प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का अलग-अलग तरह की जड़ी-बुटियों से उपचार किया जायेगा. इन 15 दिनों में किसी को भी प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के दर्शन नहीं होंगे.
रथ यात्रा के तीन दिन पूर्व 9 जुलाई को नेत्र उत्सव व 10 जुलाई को नव यौवन रूप में प्रभु अपने भक्तों को दर्शन देंगे. 12 जुलाई को वार्षिक रथ यात्रा है. मौके पर राजेश सिंहदेव, जगन्नाथ सिंहदेव, शचिंद्र दाश, राणा सिंहदेव, पृथ्वीराज सिंहदेव, धनंजय सिंहदेव आदि मौजूद थे.
सरायकेला के जगन्नाथ मंदिर में गुरुवार को प्रभु जगन्नाथ का स्नान यात्रा आयोजित की गयी. कोविड-19 का अनुपालन करते हुए मंदिर के पुजारी ब्रम्हानंद महापात्र ने सुबह पूजा अर्चना की. इसके बाद सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वाह करते हुए प्रभु जगन्नाथ का महास्नान कराया गया. स्नान यात्रा के दौरान मुख्य रूप से पुतु दाश, कार्तिक परीक्षा, बादल दुबे, सुशांत महापात्र, राजेश मिश्रा, शंकर सतपथी, सुमित महापात्र आदि उपस्थित थे.
चांडिल में पारंपरिक पूजा अर्चना के साथ प्रभु जगन्नाथ का महास्नानज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के पावन अवसर पर चांडिल के साधु बांध मठिया दशनामी नागा सन्यासी आश्रम में गुरुवार को कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र व बहन देवी सुभद्रा का महास्नान किया गया. पूजा अर्चना के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मंदिर के पास स्थित स्नान मंडप में दूध, दही, मधु, गंगाजल से तीनों की प्रतिमाओं को स्नान कराया गया. फिर पूजा अर्चना के बाद महाआरती की गयी. साथ ही भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया.
मौके पर पंच दशननामन जूना अखाड़ा सह पारडीह काली मंदिर के मंहत विद्यानंद सरस्वती जी ने कहा कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र व बहन देवी सुभद्रा का महास्नान कराया गया. स्नान के बाद परंपरा के अनुसार बीमार पड़े प्रभु मंदिर के अणसर गृह में 15 दिनों तक कर उनका उपचार किया जायेगा. आषाढ़ कृष्णा पक्ष आमवस्या पर हवन पूजन किया जायेगा. उसके बाद शुक्ल पक्ष द्वितीय में आरती व पूजा अर्चना करने के बाद अटका प्रसाद का वितरण किया जायेगा. 9 जून को प्रभु का नवयौवन दर्शन देंगे.
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Posted By : Samir Ranjan.