आगरा. आगरा में आज भक्ति भाव का सैलाब श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में देखने को मिला. हजारों की संख्या में भक्तजन श्री हरि के रथ को खींचने के लिए बलकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर मौजूद थे. शाम करीब 5:30 बजे जैसे ही श्री जगन्नाथ भगवान के रथ पर सवार होने के बाद पट खोले गए. श्रद्धालुओं ने हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे राम हरे राम के जयकारे लगना शुरू कर दिए. श्री जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा बल्केश्वर महादेव मंदिर से शुरू हुई और कमला नगर होते हुए इस्कॉन मंदिर पर समाप्त हुई. इस दौरान देश-विदेश से हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ के रथ को रस्सी द्वारा अपने हाथों से खींचा.
रथ पर विराजमान होने के बाद जैसे ही श्री जगन्नाथ भगवान के पट खोले गए. सर्वप्रथम इस्कॉन मंदिर आगरा के अध्यक्ष अरविंद प्रभु ने भगवान की आरती की. इस अवसर पर दिल्ली वृंदावन इस्कॉन मंदिर से आए ऋषि कुमार प्रभु, परमात्मा प्रभु, श्री निकेत प्रभु भी मौजूद रहे. श्वेत घोड़े की आकर्षक आकृति से सजे रथ को खींचने के लिए भक्त अधिक थे और रस्सी छोटी पड़ रही थी. बल्केश्वर से लेकर कमला नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर तक रथ को गाते बजाते नृत्य करते हुए भक्तजन खींच कर लेकर गए. इसी दौरान जगह-जगह रथ यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत भी किया गया. प्रतिष्ठानों के अंदर और बाहर बैठे लोगों ने भी श्री हरि के दर्शन के लिए अपने शीश झुकाए.
वृंदावन इस्कॉन मंदिर के माधव प्रभु ने भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र का वृंदावन का चंदुआ सिंगार किया और नाथद्वारा के कारीगरों द्वारा जरकिन और स्वर्ण तारों से सजी आसमानी पोशाक श्री हरि को आसमान की तरह अनंत रूप में प्रदर्शित कर रही थी. तीनों भगवान का पूरा शृंगार लगभग 25 किलो का था. सर पर पगड़ी और बांका मुकुट में राजपूताना भेष के दर्शन की एक झलक पाने को हर भक्त व्याकुल दिखा.
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में आगरा और देश के तमाम श्रद्धालुओं के साथ रसिया, यूक्रेन, अमेरिका सहित कई देशों के श्रद्धालु भी शामिल हुए. रथ यात्रा उत्सव में महिलाएं गोपी भेष में तो पुरुष ग्वाल भेष में सज सवर कर पहुंचे. कई लोग तो अपने लड्डू गोपाल को अपने सिर पर विराज कर इस यात्रा में शामिल होने पहुंचे.