2 शब्द से शुरू हुई तलाश और फिर 7 साल की उम्र में मां-बाप से बिछड़ा बच्चा 22 साल बाद लौटा अपने घर

Lost and Found : 7 साल की उम्र में अमित का अपहरण हो गया था, जिससे वह परिवार से अलग हो गए थे. इस दौरान वह दिल्ली के अनाथालयों में रहे. इस बीच उन्हें अपने घर की याद सताती रही. आखिरकार 22 साल बाद वह अपने माता-पिता से दोबारा कैसे मिल पाये, पढ़ें यहां-

By Rajeev Kumar | May 30, 2024 2:49 PM

Lost and Found : कहानी थोड़ी फिल्मी है. सात साल की उम्र में एक बच्चा अपने मां बाप से बिछड़ जाता है. किसी के बुरे इरादे से उसे ट्रेन में बिठा दिया जाता है, जिससे वह अपने घर से मीलों दूर पहुंच जाता है. समय अपनी गति से बीतता जाता है और वह बच्चा तमाम दुश्वारियां झेलता हुआ एक नौजवान हो जाता है. उसे अपने मां-बाप और घर की याद आती है, लेकिन ये यादें इतनी धुंधली हैं कि वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है. इस बीच उसे पुलिसवाले एक भले शख्स की मदद मिलती है.

मसीहा बनी पुलिस

यह कहानी है अमित की, जिनकी उम्र 29 साल है. अमित जब 7 साल के रहे थे, तब उन्हें किसी ने उनके मां-बाप से दूर कर दिया था. वह 22 साल बाद अपने मां-बाप से मिल पाये हैं और इस काम में उनकी मदद की है हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने. यह यूनिट उन लोगों के लिए मसीहा बन रही है, जिन्होंने किसी कारणवश अपने बच्चे अथवा किसी अपने को दुनिया की भीड़ में खो दिया है. दरअसल, अमित अपने परिवार से मिलने के लिए पिछले कई साल से संघर्ष कर रहे थे. आखिरकार उन्होंने हरियाणा में राज्य अपराध शाखा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला में कार्यरत एएसआई राजेश कुमार से संपर्क किया और वर्षों बाद अपने परिवार से मिलने में कामयाब हो पाए.

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दिल्ली के अनाथालयों में बिताये दिन

हरियाणा पुलिस द्वारा 8 महीने तक की गई जांच के कारण लगभग दो दशक पहले गुमशुदा हुए 29 वर्षीय अमित उत्तर प्रदेश में अपने परिवार से दोबारा मिल पाए हैं. 7 साल की उम्र में कुछ लोगों ने अमित का अपहरण कर लिया था, जिसके कारण वह परिवार से अलग हो गए थे. इस दौरान दिल्ली के विभिन्न बाल गृह में उनका पालन पोषण हुआ. जांच का नेतृत्व करनेवाले हरियाणा पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाई के सहायक उप-निरीक्षक राजेश कुमार ने ‘भाषा’ को बताया कि अमित 22 साल बाद हाल ही में अपने परिवार से दोबारा मिल पाये हैं.

गांव की धुंधली सी याद

कुछ महीने पहले एएसआई कुमार के संपर्क में आने पर अपने परिवार की तलाश के अमित के अथक प्रयास रंग लाये. कुमार एक बच्चे के लापता होने के मामले में दिल्ली गये थे, तभी अमित का उनसे संपर्क हुआ. अमित को बस गांव की तेल मिल और ‘बाला चौक’ नामक स्थान याद था. एएसआई कुमार ने अमित के परिवार का पता लगाने के लिए सावधानीपूर्वक जांच शुरू की.

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घर के पास की दुकान से किसी ने अपहरण कर लिया

कुमार ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि अमित के माता-पिता 22 साल पहले अलग हो गए थे, जिसके बाद वह उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक गांव में अपने नाना के साथ रहने लगे. कुछ समय बाद अमित के पिता उसे अपने साथ सहारनपुर ले गये. एक दिन जब अमित कुछ खरीदने के लिए पास की एक दुकान पर गये, तो किसी ने कथित तौर पर उनका अपहरण कर लिया.

ट्रेन से पहुंच गये मुंबई और फिर दिल्ली

कुमार ने कहा, उस समय 7 साल के रहे अमित ने कहा कि उन्हें याद है कि कुछ लोग उन्हें अपने साथ ले गए थे और जब वह जागे, तो पाया कि वह मुंबई जानेवाली एक ट्रेन में सवार हैं. कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, अमित ने मुझे बताया कि जब वह मुंबई पहुंचे, तो किसी ने यह समझकर उसे दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बिठा दिया कि बच्चा उत्तर भारतीय है. वहां से उनकी जिंदगी ने कई मोड़ लिये.

दिल्ली में बाल गृहों में रहे

अधिकारी ने कहा कि जब अमित दिल्ली पहुंचे, तो उन्हें अपने घर के बारे में कुछ पता नहीं था और वह इधर-उधर भटकते रहे, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के अलीपुर में एक बाल गृह भेज दिया. उन्होंने कहा, कुछ साल बाद उन्हें दिल्ली में किसी दूसरे बाल गृह और फिर गाजियाबाद के बाल गृह में भेज दिया गया, जहां वह नौकरी करने लगा.

बाला चौक, बैलगाड़ियां और गन्ने के खेत थे याद

एएसआई कुमार ने कहा कि वह सितंबर, 2023 में हरियाणा के रेवाड़ी से एक बच्चे के गुमशुदा होने के मामले के सिलसिले में दिल्ली गये थे. इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात अमित से हुई जिन्होंने उन्हें बताया कि वह भी कई साल पहले लापता हो गये थे. अधिकारी ने कहा, अमित ने मुझे बाला चौक का नाम लेते हुए बताया कि वह वहां रहते थे, इससे मुझे कुछ सुराग मिले. अमित ने बताया कि गांव में बैलगाड़ियां और गन्ने के खेत थे. अधिकारी ने पूछा कि उस क्षेत्र में लोग किस तरह के कपड़े पहनते थे.

मिलते गए सुराग

कुमार ने कहा, मैंने उन सुरागों पर काम करना शुरू कर दिया जो अंततः मुझे गांव तक ले गए. जब मैं वहां गया, तो मैंने पूछा कि क्या 22 साल पहले कोई बच्चा लापता हो गया था. पड़ोस में रहने वाले एक बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि एक बच्चा लापता हो गया था, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका. उन्होंने मुझे और सुराग दिये, जिसपर मैंने और मेरी टीम ने काम करना शुरू कर दिया.

29 वर्षीय अमित कुमार अपनी मां सुनीता और सब-इंस्पेक्टर राजेश कुमार के साथ.

और दो दशक बाद मां से मिला बेटा

जांच के बाद आखिरकार टीम मुजफ्फरनगर में अमित के मामा तक पहुंच गई, जिन्होंने कहा कि अमित की मां अब उसी जिले के घुमावटी गांव में रह रही हैं. एएसआई और उनकी टीम ने आखिरकार महिला का पता लगा लिया और अमित को उनकी मां से मिला दिया. अपने खोए हुए बेटे को दो दशक बाद गले लगाते ही अमित की मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े और पूरे परिवार ने पुलिस टीम के प्रति आभार व्यक्त किया. एएसआई कुमार और उनकी टीम ने पिछले कई वर्षों में 800 लापता व्यक्तियों को उनके परिवारों से मिलाने में मदद की है.

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