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लॉटरी कांड में TMC नेता अनुब्रत मंडल के अलावा और कई प्रभावशाली चेहरे आ सकते हैं सामने, जांच में जुटी ED

ईडी के अनुसार करीब 12 प्रभावशाली लॉटरी विजेताओं की सूचना मिली है. इन पर अवैध रूप से गायों, कोयले या बालू की तस्करी का आरोप है. जांच अधिकारियों को पता चला कि एक विशेष लॉटरी कंपनी के माध्यम से काले धन को सफेद किया गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2022 3:09 PM

West Bengal News : गौ तस्करी मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा गिरफ्तार बीरभूम जिले के तृणमूल पार्टी अध्यक्ष अनुब्रत मंडल और उनकी बेटी सुकन्या मंडल ने 5 बार लॉटरी जीती है. अनुब्रत ही नहीं, गौ तस्करी मामले के एक अन्य आरोपी इनामुल हक के भी लॉटरी में बड़ी रकम जीतने का खुलासा सीबीआई और ईडी ने किया है, लेकिन इस बार दोनों ही जांच एजेंसियों को घटना की जांच से पता चला कि पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक संबंध वाले कई प्रभावशाली लोगों ने बार-बार एक विशेष कंपनी की लॉटरी जीती है.

प्रभावशाली लोगों के नाम का खुलासा नहीं

ईडी के अनुसार कम से कम 12 प्रभावशाली लॉटरी विजेताओं की सूचना मिली है. इन पर अवैध रूप से गायों, कोयले या बालू की तस्करी का आरोप है. जांच अधिकारियों को पता चला कि एक विशेष लॉटरी कंपनी के माध्यम से काले धन को सफेद किया गया था. सूत्रों के मुताबिक, ईडी द्वारा दावा किए गए इन 12 लोगों के मामले में उनके नाम और तस्वीरों के साथ कंपनी का विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया था क्योंकि जीत की राशि एक करोड़ से कम थी. इसीलिए उनकी लॉटरी में जीत का खुलासा नहीं किया गया. जांचकर्ताओं के लिए यह स्पष्ट होता जा रहा था कि एक विशेष कंपनी की लॉटरी में कई राजनीतिक प्रभावशाली लोगों द्वारा जीतना कोई संयोग नहीं था.

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ऐसे गुप्त रहा पूरा मामला

जांच में पता चला है कि ये सभी राजनीतिक दबंग सिर्फ बीरभूम में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में फैले हुए हैं. उनमें से कई ने दूसरों के विजयी टिकट एकत्र किए और उन्हें अपने करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के पास भेज दिया. फिर उनके जरिए ‘काला’ धन असली प्राप्तकर्ता तक पहुंचाया जाता है और पुरस्कार की राशि सीधे रिश्तेदारों और दोस्तों के खाते में जमा की जाती थी. सभी ने एक से अधिक बार इस तरह लॉटरी जीती है. चूंकि जीत की रकम 30-40 हजार थी, इसलिए किसी को शक नहीं हुआ. इसी तरह लॉटरी कंपनी के विज्ञापन में भी विजेता की तस्वीर और नाम नहीं छपा था. नतीजा यह हुआ कि पूरा मामला गुप्त ही रहा. साथ ही इस नए तरीके से बड़ी मात्रा में काले धन को सफेद किया गया. इस घटना के सामने आने के बाद जांचकर्ताओं ने लॉटरी कंपनी के एक कर्मचारी को दिल्ली बुलाया. उससे ज्ञात होता है कि राज्य के कई प्रभावशाली लोगों के उस कंपनी के पूर्वी क्षेत्र के जिम्मेदार कार्यकर्ताओं और अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं. लॉटरी से पुरस्कार जीतने के बाद मूल प्राप्तकर्ता से जबरन टिकट ले लिया गया और संगठन के उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया.

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कई और चेहरे आ सकते हैं सामने

विभिन्न अन्य स्रोतों से यह भी ज्ञात होता है कि वे प्रभावशाली लोग हमेशा उन प्राप्तकर्ताओं की तलाश में रहते थे, जिन्होंने एक छोटी राशि के साथ लॉटरी जीती थी. नकद मिलने पर वे प्राप्तकर्ता के घर पहुंच जाते थे. फिर पैसे के बदले मूल प्राप्तकर्ता से टिकट ले लिया जाता था. इसके बाद टिकट लॉटरी संगठन के शीर्ष अधिकारियों के पास पहुंचता था. फिलहाल, केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी लॉटरी के भ्रष्टाचार में शामिल प्रभावशाली लोगों को खोजने की जद्दोजहद में लगे हैं. ईडी के अधिकारी लॉटरी कांड को लेकर विशेष रूप से लगातार जांच कर रहे हैं. जांच एजेंसी का मानना है की लॉटरी कांड में और कई चेहरे सामने आ सकते हैं.

रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, बीरभूम

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