इमरोज के लिए प्रेम सर्वोच्च था
इमरोज को अमृता प्रीतम के प्रेमी के रूप से ज्यादा जाना जाता है. अमृता प्रीतम को बचाने के लिए उनकी कृतियां हैं, इमरोज को बचाने के लिए उनका व्यक्तित्व है. इमरोज उन कुछ लोगों में हैं, जो कोई बड़ी किताब या कला पेश किये बिना लोगों के दिलों में घर कर गये. और, इमरोज की कहानियां लोग बतायेंगे.
इमरोज उन बहुत थोड़े लोगों में हैं, जिनके होने, न होने को भिन्न ढंग से दर्ज किया जायेगा. भिन्न ढंग से इसलिए कि कई लोगों के लिए उनके निधन पर यह रस्मी तौर पर कहा जाता है कि उनके न रहने से कला या साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है. इमरोज के न रहने से न कला की क्षति हुई है और न साहित्य की. जो क्षति हुई है, वह उस भाव की हुई है कि ऐसा समर्पित प्रेमी, ऐसा धैर्य धनी, इतना सहनशील, अपने को पीछे रखकर सामने वाले को बिना किसी आकांक्षा के सर्वोच्च मानकर प्रेम करने वाला, हृदय पर निर्भार रह कर प्रेम करने वाला व्यक्तित्व बहुत विरल है. चूंकि वह विरल है, इसलिए उसकी उपस्थिति को हमेशा देखने की कोशिश हुई.
अमृता प्रीतम की मृत्यु के सत्रह-अठारह साल बाद इमरोज का देहांत हुआ है. पर यह जानकार हैरानी होती है कि अमृता के बाद भी इमरोज को लगातार रेखांकित किया जाता रहा, उनकी मौजूदगी को लगातार दर्ज किया जाता रहा. अब जब वे नहीं हैं, तो आप देख सकते हैं कि सोशल मीडिया से लेकर हर जगह कि जो लोग अमृता प्रीतम के प्रशंसक हैं, वे इमरोज के भी उतने ही प्रशंसक हैं, जबकि इमरोज ने वैसा कोई लेखन नहीं किया है. उनके नाम कोई बड़ी किताब नहीं है. उन्होंने कुछ कविताएं लिखी हैं, कुछ और लेखन किया है, पर साहित्यिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो कमतर लेखन है. लेकिन कमतर लेखन के बावजूद उनका कद ऊंचा होने की सबसे बड़ी वजह उनका व्यक्तित्व है. असल में आप खूब अच्छा साहित्य पढ़कर खूब अच्छा व्यक्ति या प्रेमी बनने की आकांक्षा से भरे रहते हैं, पर बन नहीं पाते. इमरोज वैसा बन सके. इसलिए वे बहुत अलग ढंग से लोगों को याद हैं और याद रहेंगे. इमरोज जिस विधा में काम करते थे, वह चित्रकारी थी. उन्होंने कई किताबों के आवरण के लिए चित्र बनाये. अमृता प्रीतम की किताबों के तो आवरण उन्हीं के रचे हुए हैं. उस ‘रसीदी टिकट’ का आवरण भी उन्होंने ही बनाया, जिसमें साहिर का जिक्र करती हैं अमृता और बताती हैं कि स्कूटर पर साथ जाते हुए वे इमरोज की पीठ पर साहिर का नाम लिखती थीं. ऐसे दास्तान हैं उसमें, जो लगभग सभी को याद हैं.
यह बात कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि इमरोज का जो भी कलाकार था, कला व्यक्तित्व था, वह अमृता के विशाल नाम के पीछे ढंक गया. इमरोज ने इसकी कभी शिकायत भी नहीं की. वे नहीं चाहते थे कि उन्हें एक बड़े पेंटर के रूप में याद किया जाए. शायद वे उन कुछ लोगों में थे, जिन्होंने अपनी कला की परवाह किये बगैर जीवन जिया. उनकी कला को देखकर फिल्मकार गुरुदत्त ने उन्हें बंबई आने का निमंत्रण दिया. उन दिनों अमृता के साथ रहना शुरू कर दिया था. अमृता ने भी उनसे जाने को कहा कि अपनी कला का भी ध्यान रखो. बंबई में जब उन्हें मालूम हुआ कि अमृता बीमार हैं, तो वे सब छोड़कर अमृता के पास लौट आये. वे उन वाहिद लोगों में से थे, जिनके लिए प्रेम से बड़ा कुछ भी नहीं था. एक बड़े इतालवी चिंतक-साहित्यकार सेजार पावेसी ने कहा है कि प्रेमियों के हिस्से कभी खुशी नहीं होती क्योंकि उनके लिए प्रेम से बड़ा कुछ भी नहीं होता. इमरोज जैसे लोग इस कथन का विरल अपवाद हैं. वे प्रेम में भी थे और अमृता के साथ बहुत खुश थे. वे उस अमृता के साथ खुश थे, जो दो बच्चों के साथ प्रीतम जी से अलग हुई थीं, साहिर के प्रेम में पड़ीं और उनके जीवन में इमरोज आये.
अमृता के हवाले से एक किस्सा है. उन्होंने इमरोज से कहा कि तुम पूरी दुनिया घूम आओ और मुझसे कोई बेहतर मिले, तो उसके साथ हो लो. वैसे मैं यहां तुम्हारा इंतजार करूंगी. इमरोज ने अमृता के चक्कर लगाये और कहा कि लो, दुनिया घूम आया, तुमसे बेहतर कोई नहीं. ऐसा प्रेम कई बार फिल्मी लगता है और यह भी लगता है कि क्या ऐसा जी पाना संभव है. उन्होंने इसे जी कर दिखाया. उनके लिए अपनी कला या अपना लेखन बहुत पीछे की बातें थीं. उनके लिए सबसे बड़ी बात अमृता प्रीतम ही थीं यानी सबसे बड़ी बात प्रेम था, जिसके लिए अमृता प्रीतम एक संज्ञा है, एक नाम है, उसका मांसल स्वरूप है. अमृता ने विभाजन की त्रासदी को दर्ज करता उपन्यास ‘पिंजर’ लिखा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें ऐसे लेखन के लिए कम, साहिर के प्रेमी के रूप में ज्यादा जाना जाता है. इमरोज को अमृता प्रीतम के प्रेमी के रूप से ज्यादा जाना जाता है. अमृता प्रीतम को बचाने के लिए उनकी कृतियां हैं, इमरोज को बचाने के लिए उनका व्यक्तित्व है. इमरोज उन कुछ लोगों में हैं, जो कोई बड़ी किताब या कला पेश किये बिना लोगों के दिलों में घर कर गये. और, इमरोज की कहानियां लोग बतायेंगे. जीवन संबंधों में प्रेम जितना जटिल होता जा रहा है, इमरोज बहुत याद आने वाले हैं.