Grahan 2020/Super moon: सुपरमून भारत में भी दिखा, अब जानिए भारतीयों को कितने दिन बाद दिखेगा ग्रहण
Lunar Eclipse/Chandra Grahan 2020, Super Moon: Supermoon को दुनिया के कई देशों में देखा गया और इसकी शानदार तस्वीरें सोशल मीडिया जमकर वायरल हो रही हैं. इस फूल मून को इसीलिए भी Super Moon कहा जाता है क्योंकि ये काफी चमकीला और आकर्षक दिखाई देता है. आपको बता दें कि इस सुपर मून के ठीक एक महीने बाद जून में दो ग्रहण लगने वाले है. एक चंद्र ग्रहण और दूसरा सूर्य ग्रहण. आइए इसके बारे में जानते हैं विस्तार से. चंद्र ग्रहण 05 जून की रात से शुरू होकर 6 जून तक रहेगा. इस बार उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस ग्रहण को भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा.
Lunar Eclipse/Chandra Grahan 2020, Super Moon: आज सुबह जब भारत में दिन था तो सूरज की रोशनी की वजह से हम चांद को बेहद करीब से और सबसे खूबसूरत या सबसे बड़ा चांद नहीं देख पाए. लेकिन दुनिया के कई देशों में ये दिखा और इसकी तमाम तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं. आपको बता दें कि इस सुपर मून के ठीक एक महीने बाद जून में दो ग्रहण लगने वाले है. एक चंद्र ग्रहण और दूसरा सूर्य ग्रहण. आइए इसके बारे में जानते हैं विस्तार से. चंद्र ग्रहण 05 जून की रात से शुरू होकर 6 जून तक रहेगा. इस बार उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस ग्रहण को भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा.
Flower Moon या Supermoon को दुनिया के कई देशों में देखा गया और इसकी शानदार तस्वीरें सोशल मीडिया पर आ रही हैं. इस फूल मून को इसीलिए फ्लावर मून भी कहा जाता है क्योंकि ये काफी चमकीला और आकर्षक दिखाई देता है. खगोलीय विज्ञान के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य के चारों ओर परिक्रमा लगाते हुए जब सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में धरती आ जाती है और चांद से धरती की दूरी भी सबसे कम हो जाती है. सुपर मून को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और टर्की के अलावा कई देशों में देखा गया.
विज्ञान के अनुसार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, जबकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ घूमता है. कई बार पृथ्वी घूमते-घूमते सूर्य व चंद्रमा के बीच में आ जाती है. इस स्थिति में पृथ्वी चांद को अपनी ओट से पूरी तरह से ढक लेती है, जिस कारण चांद पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है. इसे ही चंद्र ग्रहण कहते हैं. वहीं, पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन किया जा रहा था, तब उस दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद पैदा शुरू होने लगा, तो इसको सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था.
मोहिनी के रूप से सभी देवता और दानव उन पर मोहित हो उठे तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया. लेकिन तभी एक असुर को भगवान विष्णु की इस चाल पर शक पैदा हुआ. वह असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान करने लगा. देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने इस दानव को ऐसा करते हुए देख लिया. इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी.
जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया. इसी वजह से राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं. जिस कारण ये कुछ दफा पूर्णिमा के दिन चांद का और अमावस्या के दिन सूर्य का ग्रास कर लेते हैं.