कानपुर में प्रदूषण का बढ़ता स्तर फेफड़े प्रभावित कर रहा है. ऐसे में मास्क पहनना आवश्यक है. जिन लोगों को कोई क्रानिक स्वास्थ्य समस्या है. उनके लिए यह वातावरण परेशानी पैदा कर सकता है. मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों की संख्या इस समय पहले से काफी बढ़ गई है. शहर में फैले प्रदूषण व छाई धुंध की वजह से लोग फेफड़ों की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. चेस्ट अस्पताल पहुंच रहे मरीजों में सांस लेने में दिक्कत, खांसी, गले में खराश के साथ ऑक्सीजन लेवल की मात्रा भी कम पाई गई है. चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदूषित हवा में सूक्ष्म कण, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड, लेड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी कैसे फेफड़ों के लिए बहुत हानिकारक है. यह जहरीले तत्व शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को कम करते हैं. इसके अलावा सूक्ष्म कणों के सांस मार्ग में प्रवेश से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक श्वसन समस्याएं भी ट्रिगर कर जाती हैं. इससे फेफड़ों को छति पहुंचने का भी खतरा रहता है.
मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के विभाग अध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने बताया कि पीएम 2.5 दिल के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा घातक है. यह ऐसे अति सूक्ष्म कण होते हैं जो फेफड़े से होते हुए रक्त में मिलकर दिल तक पहुंच जाते हैं. इनके कारण कार्डियक अरेस्ट की आशंका काफी बढ़ जाती है. बचाव के लिए मास्क लगाकर घर से बाहर निकले. नींबू, विटामिन सी से भरपूर चीजों का सेवन करें. अनार, गाजर व चुकंदर का भी सेवन किया जा सकता है.
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कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर राकेश वर्मा ने बताया कि युवाओ में बढ़ती दिल की बीमारियों का बड़ा कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खान है. देर रात तक जागना या काम करना और दिनभर बैठकर काम करने से युवाओं में खराब वसा बढ़ रही है, जो दिल का मरीज बना रही है. जंक फूड, मसालेदार तैलीय भोजन से भी युवाओं का दिल बीमार हो रहा है.
नगर निगम समिति कक्ष में महापौर की अध्यक्षता में शहर में बढ़ते प्रदूषण पर हुई बैठक में महापौर ने सड़कों पर पानी छिड़कने के निर्देश दिए. इसके साथ ही डिवाइडर में पेड़ पौधे लगाने को कहा. महापौर ने कहा कि वर्तमान में पेड़ों की छाती ना की जाए खुले में कूड़ा जलाने पर कठोर कार्रवाई हो.