सनी देओल की फ़िल्म गदर 2 इन-दिनों टिकट खिड़की पर सफलता की नयी कहानी लिख रही है. इस फ़िल्म में अभिनेता लव सिन्हा भी नजर आ रहे हैं. एक अरसे बाद वह किसी फ़िल्म का हिस्सा बने हैं. इस फ़िल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…
आपको गदर 2 में भूमिका कैसे मिली?
मैंने सामने से निर्देशक अनिल शर्मा को कहा कि आप मुझे अपनी फ़िल्म में कास्ट कीजिए. उस समय वह गदर 2 की योजना बना रहे थे और उन्होंने मुझे फ़िल्म में फरीद की अतिथि भूमिका ऑफर की. कभी-कभी किसी बड़े बैनर की फिल्म में आपकी अतिथि भूमिका सबका ध्यान खींच लेती है. आपको इंडस्ट्री में विजिबिलिटी भी मिलती है. मैं इस बात को जानता हूं, लेकिन यह फ़िल्म मैंने सिर्फ इसलिए नहीं की. यह मैंने सनी देओल और अनिल शर्मा के लिए किया है. मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, अगर किसी और बैनर की फ़िल्म में मुझे मेहमान भूमिका ऑफर हुई होती थी, तो शायद मैं नहीं करता था.
गदर फिल्म से आपकी क्या यादें जुड़ी हैं?
मुझे याद है कि मैंने विले पार्ले में सिंगल स्क्रीन पर फिल्म देखी थी और मुझे बहुत मजा आया था. सिंगल स्क्रीन से आपको दर्शकों की असल प्रतिक्रियाएं पता चलेंगी. मल्टीप्लेक्स के दर्शक बहुत शांत होते हैं. मौजूदा दौर में दर्शकों ने फिर से थिएटर जाना शुरू कर दिया हैं गदर 2 की क़ामयाबी इसका आगे का उदाहरण बनी हैं.
टिकट खिड़की पर फ़िल्में नहीं चल रही थी, तो इसका दोष हमारी फिल्मों को ही जाता है.
मुझे लगता है कि हम अपने दर्शकों से दूर होते जा रहे हैं.’ हम ईस्टर्न यूरोपियन स्टाइल की फ़िल्में बना रहे हैं और हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे दर्शक उस फिल्म को देखेंगे. वो कंटेंट अब ओटीटी पर मौजूद है, तो वो सीधे वही देख लेंगे. सबको बस बॉलीवुड में विदेशों की नकल बनानी है. कइयों का तो कहना है कि हमारी फिल्मों में गाने नहीं होने चाहिए जबकि महान फ़िल्मकार मणिरत्नम सर ने कहा था कि एक फिल्म में गाने होने चाहिए. उन्हें सही तरीके से जोड़ा जाए तो वह कहानी को और प्रभावी बनाते हैं. मैं मणिरत्नम सर की मानूंगा. किसी भी नए नवेले निर्देशक की नहीं.
आप एक फिल्मी परिवार से हैं, फिल्म सेट से आपकी बचपन की क्या यादें हैं?
कई सारी है. एक याद बहुत खास है. एक बार मैं अपने पापा की फिल्म लोहा के सेट पर गया था और वहां एक असली में शूट के लिए बनाए हुए पुल पर विस्फोट हुआ था.उस समय कोई कंप्यूटर-जनित इमेजरी नहीं थी, सबकुछ असली था, तो कल्पना करें कि एक बच्चे के रूप में उस शूटिंग को देखने का मेरा अनुभव क्या रहा होगा
ओटीटी बूम पर आपकी क्या राय है, जल्द ही आप अपने पिता के साथ एक वेब सीरीज में नज़र आनेवाले हैं ?
यह बहुत अच्छा समय है और एक अभिनेता के रूप में मैं हर माध्यम के लिए तैयार हूं. मेरा अगला प्रोजेक्ट गैंगस्टर वेब सीरीज है जिसमें मेरे पिता शत्रुघ्न सिन्हा भी हैं, जो पिता-पुत्र की जोड़ी के लिए पहला प्रोजेक्ट होगी, यह ओटीटी पर आएगी.
अपने पिता के साथ कैमरे का सामना करना कैसा रहा?
यह अच्छा था, मैं सहज था. मुझे याद है कि जब मैं बच्चा था तो जब मुझसे सामने डांस करने के लिए कहा जाता था तो मैं घबरा जाता था, लेकिन इस वेब सीरीज की शूटिंग के दौरान ऐसा नहीं था. मैं एकदम सहज था.वैसे हम रील पिता पुत्र का किरदार निभा रहे हैं और राजनीति से भी जुड़े हैं.
आपने अपने कैरियर में बहुत मुश्किल वक़्त देखा है,आपको अपने पिता से क्या सलाह मिली?
अपने काम के लिए प्रयास और तलाश जारी रखें. अपना आत्मविश्वास न खोएं और कड़ी मेहनत करें. मैंने ऋतिक रोशन से भी सीखा है जो इतने लंबे समय तक सुपरस्टार रहे हैं लेकिन फिर भी वे बहुत मेहनती हैं.
क्या आप ऑडिशन के जरिये काम पाने में यकीन करते हैं?
हां क्यों नहीं लेकिन इसके साथ ही मैं यह भी बताना चाहूंगा कि साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री में जब कोई निर्देशक अभिनेताओं से मिलता है तो वे तुरंत उन्हें कास्ट कर लेते हैं क्योंकि निर्देशक को भरोसा होता है कि वह अभिनेता से काम ले सकता है.
ऑडिशन के दौरान क्या कभी रिजेक्शन से गुज़रे हैं?
मुझे कास्टिंग डायरेक्टर्स कॉन्टेक्ट्स नहीं करते हैं. मैं कारण नहीं जानता. मैं उनकी विचार प्रक्रिया नहीं जानता. लोग इनसाइडर और आउटसाइडर के बारे में बात करते हैं. स्टार किड को टारगेट करते हैं, लेकिन कई बार मेरे दोस्त जो कास्टिंग निर्देशकों के करीबी होते हैं उन्हें भूमिकाएं मिल जाती हैं, लेकिन मुझे बुलाया तक नहीं जाता है. यह भी अनुचित है. इस पर भी बात होनी चाहिए. मुझे लगता है कि मुझे मौका मिलना चाहिए.
आप जिस परिवार से हैं, उसमें क्या करें और क्या न करें का दबाव क्या ज़्यादा होता है?
यह बहुत जरूरी भी है. नाम कमाने में 20 साल लग जाते हैं और आप उसे 30 सेकंड में खो सकते हैं. हमें हमेशा कहा गया है कि अपने परिवार को कभी निराश मत करो. हमेशा याद रखें कि आप किस परिवार से आ रहे हैं . परिवार किसी भी अन्य चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण है. मैं शराब नहीं पीता हूं और देर रात तक पार्टी नहीं करता हूं .
क्या आप अपनी बहन सोनाक्षी को भी सलाह देते हैं?
वह मेरी छोटी बहन है और मुझे उसे यह बताने का पूरा अधिकार है कि क्या गलत है. जब भी वह गलत होगी मैं हमेशा बोलूंगा. मैंने उन्हें कई बार गलत फिल्में चुनने के बारे में बताया है. मैं अपने परिवार को लेकर बहुत सुरक्षात्मक हूं.
सोनाक्षी सिन्हा ने स्क्रीन पर हमेशा अपनी नो किसिंग पॉलिसी बरकरार रखी है, एक कलाकार के रूप में आपकी क्या राय है?
मुझे लगता है कि कैमरे पर चुंबन और लव मेकिंग सीन मेरे तर्क से परे हैं. अगर हम इसे स्क्रीन पर नहीं दिखाएंगे तो क्या आप मुख्य किरदारों के बीच प्यार की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाएंगे. बीते दौर के एक्टर्स जैसे कि श्रीदेवी, अमिताभ बच्चन को देखें, इन सभी ने इन सबके बिना भी रोमांटिक सीन किए हैं.
क्या आप कैमरे पर इंटीमेट सीन करेंगे ?
कभी नहीं क्योंकि मैं राजनीति में हूं और मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र, अपने लोगों के बारे में सोचना है. मैं ऐसे परिवार से आता हूं जहां सभी रूढ़िवादी मूल्य रखते हैं. अपने मूल्यों को मैं कभी छोड़ नहीं सकता हूं.
बिहार से कितना जुड़ाव रहता है?
बहुत ज़्यादा, मैं अक्सर वहां जाता रहता हूं. बीते महीने ही गया था. मेरा निर्वाचन क्षेत्र है तो इससे मेरा लगाव और है.जो लोग कहते हैं कि मैं बिहार नहीं जाता हूं. उन्हें फिर मेरे बारे में पता नहीं है. मैं वहां अक्सर जाता रहता हूं. वहां मेरे अपने लोग हैं. वैसे मैं उस क्षेत्र से उम्मीदवार था, विजेता नहीं तो मुझे पर इतना सवाल करना जायज नहीं है.