Varanasi Annapurna Temple: वाराणसी में दीपोत्सव के पर्व पर श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए पूरे साल इंतजार करते हैं. अन्य मंदिरों में जहां सालभर श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन-पूजन कर सकते हैं. वहीं मां अन्नपूर्णा मंदिर में ये मौका सिर्फ दीपोत्सव पर मिलता है. धनतेरस से सिर्फ चार दिन तक ही श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा के दर्शन पूजन कर सकते हैं. ये मंदिर सिर्फ इसी दौरान खुलता है. वहीं इस बार श्रद्धालुओं को खास मौका मिलने जा रहा है. बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा इस बार अपने भक्तों पर पांच दिन कृपा बरसाएंगी. धनतेरस पर निर्धारित समय से एक घंटे पहले मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे और पांच दिनों तक श्रद्धालु स्वर्णमयी अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे. इस दौरान मंदिर की भव्य सजावट के साथ झांकी भी सजाई जाएगी। अन्नकूट पर्व पर इस बार 21 क्विंटल का प्रसाद चढ़ेगा. महंत शंकर पुरी के मुताबिक धनतेरस के शुभ योग से देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा. अभिजीत मुहूर्त में अपराह्न में माता का पूजन व आरती के बाद खजाने की पूजा की जाएगी.
वाराणसी में भक्तों को साल में सिर्फ चार दिन मां अन्नपूर्णा के दर्शन का अवसर मिलता था. लेकिन, इस साल पांच दिन स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन होगा. धनतेरस के दिन 10 नवंबर को खजाना वितरण होगा. 14 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव के दिन लड्डूओं की झांकी सजेगी. वहीं रात 11.30 बजे माता की महाआरती होगी. इसके बाद एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा. भक्तों को बांसफाटक से होते गेट नंबर एक ढुंढिराज से प्रवेश कर मुख्य द्वार अन्नपूर्णा मंदिर में प्रवेश होगा. बाएं हाथ की तरफ बनी अस्थायी सीढ़ियों से होते हुए स्वर्णमयी माता का दर्शन करके श्रद्धालु कालिका गली होकर निकलेंगे.
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काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि 10 नवंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित माता अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट भव्य आरती और पूजन के खुलेंगे. इसके बाद दर्शनार्थी मां अन्नपूर्णा के दर्शन कर सकेंगे. सभी दर्शनार्थियों को अन्न और धन का प्रसाद मिलेगा. इसके लिए अन्न और धन की पर्याप्त व्यवस्था मंदिर प्रशासन की ओर से की गई है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि अधिकारियों और कर्मचारियों की शिफ्ट के मुताबिक ड्यूटी लगाई गई है. दर्शनार्थी मंदिर के हेल्प डेस्क काउंटर से रसीद कटा कर भी प्रसाद प्राप्त कर सकेंगे.
परंपरा के मुताबिक, मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा वाला मंदिर साल में धनतेरस के मौके पर ही चार दिन के लिए खुलता है. दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. लेकिन, इस बार दीपावली के दो दिन बाद अन्नकूट महोत्सव पड़ेगा. मंदिर में 500 साल पुरानी स्वर्ण मूर्तियां स्थापित हैं, जो मां अन्नपूर्णा की मूर्ति के साथ ही विराजमान हैं. मां अन्नपूर्णा के सामने खप्पर लिए खड़े भगवान शिव अन्नदान की मुद्रा में है. दाईं ओर मां लक्ष्मी और बाईं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है.
मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, धनतेरस के दिन मंदिर का अनमोल खजाना खोला जाता है. इसका महत्व मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं से है. माना जाता है कि एक बार काशी में अकाल पड़ा था. तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मां मां ने भिक्षा के साथ भगवान शिव को यह वचन दिया कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा. काशी में आने वाले हर किसी को अन्न मां के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है.