Chaitra Navratri 2021, Ma Kalaratri Puja Vidhi, Mantra, Aarti, Stotra, Stuti, Prarthana: गधे की सवारी करने वाली मां पार्वती के सबसे क्रूर रूप देवी कालरात्रि की पूजा इस चैत्र नवरात्र 2021 की 19 तारीख को की जायेगी. ऐसी मान्यता है कि विधि विधान से इनकी पूजा करने से कुंडली में शनि दोष समाप्त होता है. आपको बता दें कि मां कालरात्रि ने शुंभ-निशुम जैसे दो राक्षसों का नरसंहार किया था. इनका स्वरूप बेहद डरावना है. ऐसे में आइये जानते हैं इस नवरात्रि इन्हें प्रसन्न करने के उपाय कैसे करें पूजा, क्या है विधि, मंत्र, स्तुति, स्त्रोत, प्रार्थना व आरती….
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नवरात्रि के सातवें दिन सुबह उठें, स्नानादि करें, स्वच्छ कपड़े पहनें
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पहले गणेश जी का ध्यान लगाएं
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कलश देवता की पूजा करें
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अब मां कालरात्रि की पूजा करना शुरू करें
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उन्हें अक्षत, धूप, गंध, रोली, रातरानी के पुष्प, चंदन आदि पूजन सामग्री अर्पित करें
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मां कालरात्रि को पान, सुपारी भेंट करें
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घी व कपूर जलाएं और माँ कालरात्रि की कथा सुनें फिर आरती करें
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इस देवी को गुड़ का भोग लगाना न भूलें
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
(Om Devi Kalaratryai Namah)
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
(Ya Devi Sarvabhuteshu Ma Kalaratri Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah)
करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
Posted By: Sumit Kumar Verma