Madhepura: मधेपुरा जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड स्थित नोहर ब्रह्मस्थान में चैत्र नवरात्र की पहली पूजा से ही ग्रामीण महिलाओं द्वारा मिट्टी से पार्थिव महादेव बना कर ब्रह्मस्थान भेजें जाने की परंपरा पूर्वजों के समय से चली आ रही है. यहां पंडितों द्वारा श्रद्धाभाव से पूजा की जाती है. पंडित मदनमोहन झा द्वारा पूजा-अर्चना के बाद दिन-रात फलाहार किया जाता है.
पंडित हरिबल्लव ठाकुर, डॉ महानंद झा, पंडित नरेश मोहन झा, पंडित बीरेंद्र झा, पंडित तुलाकांत झा, पंडित अमरकांत झा, पंडित उग्रनारायन झा, पंडित निरंजन झा, पंडित अशोक ठाकुर, पंडित प्राणमोहन झा, अधिवक्ता उदय शंकर झा, अधिवक्ता मनोज शंकर ठाकुर, मृत्युंजय ठाकुर, पंडित सचिंद्र झा, पंडित बिपिन झा (झलकु), पंडित बिजय मिश्रा आदि ग्रामीणों ने बताया कि आपदा-विपदा से ग्राम, समाज की रक्षा के लिए पूर्वजों के समय से ही मिट्टी से निर्मित पार्थिव (महादेव) में प्राण-प्रतिष्ठा देकर पूजा अर्चना कि जाती है.
पहली पूजा से चलनेवाले महादेव पूजा का समापन रामनवमी के दिन होता है. नौ दिन चलनेवाले महादेव पूजा में सवा लाख महादेव पूजा का संकल्प लेकर पूजा की जाती है. वहीं, अंतिम दिन गांव में स्थित दक्षीनेश्वर काली स्थान में सेकरो कुंवारी कन्या को खीर का भोजन कराया जाता है. उसके बाद बचे हुए प्रसाद को गांव के प्रत्येक परिवार में भेजा जाता है.
बताया जाता है कि पूर्वजों के समय से ही प्रत्येक दिन पूजा समाप्त होने तक प्रत्येक परिवार में कम-से-कम एक सदस्य उपवास पर रहता है. वैसे यह प्रथा अब गिने चुने परिवार तक ही सिमट कर रह गया है. लेकिन, दस दिनों तक लगभग सभी परिवार में लहसुन-प्याज वर्जित रहता है. पूजा के अंतिम दिन ब्रह्मस्थान के प्रांगण में ही हवन किया जाता है. सभी परिवार में कुंवारी भोजन एवं कुंवारी पूजन किया जाता है. ब्रह्म बाबा कि कृपा से गांव खुशहाल है.