Madhuri Dixit Interview : माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) अपने डांस रियलिटी शो डांस दीवाने (Dance Deewane 3) से छोटे पर्दे पर जल्द ही वापसी करने वाली हैं. डांस को अपना जुनून करार देने वाली माधुरी कहती हैं कि ऐसे डांस रियलिटी शोज ज़्यादा से ज़्यादा आने चाहिए ताकि हर प्रतिभा को मंच मिल सकें. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
इतने सारे डांस रियलिटी शो के बीच आप डांस दीवाने में क्या खास करार देंगी?
हमारा शो एकलौता ऐसा शो है. जिसमें एक नहीं तीन जनरेशन हैं. 35 प्लस उम्र के लोगों को यह शो अपना हुनर दिखाने का मौका दे रहा है. इस बार डांस दीवाने में जज के तौर पर शशांक खेतान की जगह धर्मेश नज़र आएंगे. राघव होस्ट हैं. गौर करेंगे तो हम चारों ही डांस से जुड़े हैं तो डांस का खूब सारा वाऊ फैक्टर लेकर आए हैं. इस बार सोलो, डुएट ही नहीं ग्रुप परफॉर्मेंस भी होगा.
लॉक डाउन के वजह से यह शो पोस्टपोन हो गया ऐसे में आपने कितना मिस किया इस शो को और किस तरह से अपने परिवार के साथ खुद को मशरूफ रखा?
मैंने लॉकडाउन में भी जमकर काम किया. कुकिंग में एक्सपेरिमेंट किया. बालों को काटना भी सीखा. एक सिंगल भी रिलीज किया. फ्रंट लाइन वॉरियर्स के लिए. हमारी पूरी फैमिली को म्यूजिक से बहुत लगाव है इसलिए हमने मिलकर बहुत सारी साथ में जैमिंग की. मैंने डांस विद माधुरी दीक्षित में लोगों को खूब डांस भी सिखाया.
आपने इस दौरान अपनी मां का ख्याल किस तरह से रखा?
वे 88 साल की हैं तो हमने उनका बहुत खयाल रखा. 9 महीने हम घर से कहीं बाहर ही नहीं गए. मेरे बेटों ने भी इस बात का पूरा ध्यान रखा. अपने दोस्तों से वह ज़ूम कॉल पर ही मिलते थे. मेरी माँ की नर्स भी हमारे साथ 10 महीने रही थी. वो भी बाहर नहीं गयी. राम के जन्मदिन पर पर हमने बायो बबल बनाकर सेलिब्रेशन किया था तो मां थोड़ा उस वक़्त बाहर निकली थी. वैसे अभी भी हम बहुत एहतियाद बरत रहे हैं. मां से सभी थोड़ी दूरी से ही बात करते हैं. उनसे टच नहीं होते हैं. सिर्फ मैं ही उनसे टच होती हूं क्योंकि अपने काम की वजह से आए दिन मेरा कोविड का टेस्ट होता रहता है तो मुझे पता रहता है कि मैं सुरक्षित हूं.
क्या आपको लगता है कि डांस में फॉर्मल ट्रेनिंग ज़रूरी है?
अगर आप क्लासिकल सीख रहे हैं तो आपको ट्रेनिंग लेनी ही चाहिए लेकिन इसके साथ ही मैं ये भी कहूंगी कि आज पूरी दुनिया सिमट कर इंटरनेट में आ गयी है. कई बार लोगों के पास समय नहीं होता है तो कई बार सीखने के लिए पैसे भी नहीं होते हैं. ऐसे में इंटरनेट उनके लिए बहुत बड़ा टीचर साबित होता है. मैंने खुद भी डांस विद माधुरी में सब्सक्रिप्शन प्राइस नाम मात्र रखा है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग डांस सीख सकें. हमारे डांस शो में कई ऐसे प्रतियोगी हैं, जो इंटरनेट से सीखकर आए हैं और कमाल का डांस करते हैं फिर हमारी कोरियोग्राफर्स की जो टीम हैं. उनपर मेहनत करती हैं. वैसे मैंने सोशल मीडिया पर ही रांची के बच्चे अमन कुमार राज का डांस देखा था तो मैंने डांस दीवाने की टीम को कहा कि इसे ढूंढकर इस शो में लाओ.
डांस में स्टंट हावी हो गया है इस पर आप क्या कहना चाहेंगी?
कथक में स्टंट नहीं होता है. भरतनाट्यम में भी नहीं हिप हॉप और कंटेंपररी का एक पार्ट स्टंट भी है इसलिए उसमें स्टंट नज़र आता है लेकिन मूल रूप से डांस ही सबसे अहम है.
शो में प्रतियोगियों के संघर्ष की कहानियां दिखायी जाती है क्या आप अपने संघर्ष को उस दौरान याद करती हैं?
हर किसी का संघर्ष अलग अलग होता है. मैं अपने संघर्ष को याद करती हूं लेकिन जो प्रतियोगी आते हैं उनकी कहानियां सुनती हूं कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. कोई सीखाने वाला नहीं है लेकिन वो अपनी दीवानगी से डांस सीख रहे हैं तो लगता है कि मेरा संघर्ष आसान था. मुझे खुशी होती है कि जब ये शो खत्म होता है तो ये जो डांसर्स होते हैं. वो इतने प्रशिक्षित हो जाते हैं कि इन्हें इवेंट्स और शोज में काम मिलने लगता है.
डांस दीवाने ये शीर्षक जो है इसमें आप किनके डांस को शामिल करना चाहेंगी जिनके लिए आप दीवानी हैं?
मुझे गोविंदा जी का डांस बहुत पसंद है. अभी के दौर में टाइगर श्रॉफ बहुत अच्छा कर रहे हैं. हृतिक रोशन भी इंडस्ट्री के बेहतरीन डांसर्स में से हैं. अमिताभ बच्चन जी के डांस का अलहदा अंदाज़ भी मुझे काफी पसंद है.
बीते डांस दीवाने के वक़्त आपने कहा था कि आपके बेटे हिप हॉप डांस में रुचि रखते हैं क्या उन्होंने सीखा?
हां थोड़ा बहुत सीखा. मेरे दोनों बेटों को डांस से ज़्यादा म्यूजिक में रुचि है. ड्रम, गिटार और पियानो दोनों बहुत अच्छा प्ले करते हैं. मैं गाती हूं. हमारा रॉक बैंड है. अगर ये कहूं तो गलत ना होगा. वैसे फैमिली जब क्रिएटिव काम साथ साथ करती है तो और करीब हो जाती है. सिर्फ म्यूजिक ही नहीं और भी कुछ क्राफ्ट हो या कुछ और.
आपके फैंस आपकी एक्टिंग को मिस कर रहे हैं?
इस साल मैं दर्शकों को नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज में नज़र आऊंगी. उसकी शूटिंग फिलहाल चल रही है.
ओटीटी प्लेटफार्म सिनेमाघरों के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं ऐसी चर्चाएं आम हैं?
मैं इसको नहीं मानती हूं. मुझे लगता है कि वो भी मनोरंजन का एक अहम माध्यम बना रहेगा और थिएटर हमेशा था और रहेगा. ओटीटी की खासियत ये है कि यहां पर आपको जो विषय अच्छा लगता है. आप उसे बना सकते हैं. आप पर मार्केट प्रेशर नहीं होता है. ये नहीं सोचते कि सभी दर्शक वर्ग को कैटर करेगा या नहीं.
कहा जा रहा है कि सिनेमाघरों के अच्छे दिन सुपरस्टार्स की फिल्में ही ला सकती हैं?
नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता. फ़िल्म ही स्टार होती है. अच्छी फिल्में आयी तो दर्शक फ़िल्म देखने थिएटर में आएंगे.