माफिया अतीक-अशरफ की हत्या से सहम गया डॉन बबलू श्रीवास्तव, प्रयागराज कोर्ट में VC के जरिए सुनवाई की दी अर्जी

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में हुई हत्या के बाद माफियाओं में खौफ कायम होने लगा है. बांदा जेल में बंद पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी से लेकर बरेली जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव ने पेशी पर जाने में जान का खतरा बताया है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 12, 2023 8:38 PM

बरेली : एक वक्त था, जब माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव के नाम से लोग कांपते थे.उससे जिंदगी के लिए रहम की भींख मांगते थे. मगर, उसने तमाम लोगों को रहम की भीख नहीं दी. इसीलिए किडनैपिंग किंग से अंडरवर्ल्ड तक में उसका नाम गूंजने लगा. कभी वह दाऊद इब्राहिम का खास माना जाता था. मगर, कहते हैं, वक्त की हर शैय गुलाम है. उसी बबलू श्रीवास्तव को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अतीक अहमद की तरह जान का खौफ सताने लगा है. यह खौफ प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद से माफियाओं में कायम होने लगा है.

बांदा जेल में बंद पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी से लेकर बरेली जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन ओम प्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव ने पेशी पर आने पर अपनी जान को खतरा बताया है. यही वजह है कि अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव को अपनी जान का डर सताने लगा है. उसने प्रयागराज के बहुचर्चित सर्राफा कारोबारी पंकज महिंद्रा के अपहरण कांड में गवाही के लिए बरेली जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी की गुहार लगाई है. हालांकि, कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी. इसके साथ ही 16 अक्टूबर को बयान के लिए तलब किया है. बबलू श्रीवास्तव ने अदालत से जेल अधीक्षक, और अपने वकील के जरिए कहा था कि बरेली से प्रयागराज के इतने लंबे सफर में उसकी जान को खतरा हो सकता है, इसलिए उसकी पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग से करवाई जाए.

बरेली जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव की सर्राफ पंकज महिंद्रा के बहुचर्चित अपहरण कांड में गवाही के लिए बुधवार को जिला सत्र न्यायालय में पेशी थी. जेल अधीक्षक बरेली की रिपोर्ट में जिले में वीआईपी मूवमेंट के कारण पेशी से असमर्थता जताई. कहा गया कि या तो वीसी से पेशी हो या नई तारीख लगाई जाए. इसके बाद प्रयागराज की जिला कोर्ट ने बबलू श्रीवास्तव को 16 अक्टूबर को बयान के लिए फिर से तलब किया है. व्यापारी की किडनैपिंग 5 सितंबर, 2015 की रात दुकान बंद करके घर जाते समय बदमाशों ने की थी. बदमाशों ने फिरौती के रूप में सर्राफा व्यवसायी के परिजनों से 10 करोड़ रुपये की डिमांड की थी. पुलिस ने मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए फतेहपुर जिले के एक फार्म हाउस में छापा मारकर सर्राफ पंकज महिंद्रा को बचा लिया था.

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बीमारियों ने खत्म की दबंगई

बबलू श्रीवास्तव बीमारियों से बहुत दुखी है.वह ऊपर वाले (ईश्वर) से रहीम की भीख मांग रहा है. शुगर के कारण ब्लड प्रेशर समेत कई बीमारियां हो गई हैं. आंखों की रोशनी भी कम हो गई.जिसके चलते सर्जरी हुई है. मगर, अब डॉक्टर बताते हैं, कभी आतंक के पर्याय बबलू श्रीवास्तव में वह दबंगई नहीं है. उम्र बढ़ने के साथ ही बातचीत का लहजा भी बदला है. माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का रहने वाला है. उसके पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव जीटीआई में प्रिंसिपल थे. बबलू का बड़ा भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी में कर्नल है. वह आइएएस या सेना अफसर बनना चाहता था. मगर, कॉलेज की राजनीति ने किडनैपकिंग से अंडरवर्ल्ड तक पहुंचा दिया. पिछले दिनों बबलू श्रीवास्तव ने समय से पूर्व रिहाई को लेकर दया याचिका का प्रस्ताव जिला मजिस्ट्रेट लखनऊ को प्रेषित किया था. मगर, यह मुख्यालय स्तर पर लंबित है.


कॉलेज में छोटी से गलती से जुर्म की दुनिया में इंट्री

बबलू श्रीवास्तव की जिंदगी काफी अच्छी चल रही थी. लखनऊ विश्वविद्यालय में लॉ का छात्र था.1982 में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र संघ का चुनाव हो रहा था. इसमें बबलू का दोस्त नीरज जैन महामंत्री पद के चुनाव में उम्मीदवार था. कॉलेज में प्रचार जोरों पर था. छात्र नेताओं के दो गुटों के मारपीट हो गई. इसमें एक छात्र ने दूसरे छात्र को चाकू मार दिया. घायल छात्र का संबंध लखनऊ के माफिया अन्ना से था. अन्ना शुक्ला ने बबलू को आरोपी बनाकर जेल भिजवा दिया. बबलू के खिलाफ यह पहला मुकदमा था. इससे उसके मन में नफरत की आग जलने लगी. वह जेल में छूट कर आया. इसके बाद अन्ना ने फिर स्कूटर चोरी के झूठे आरोप में जेल भिजवा दिया. इसके बाद परिजनों ने जमानत भी नहीं कराई. बबलू को महीनों जेल में रहना पड़ा. इससे परेशान होकर बबलू ने अपना घर छोड़ दिया. वह हॉस्टल में रहने लगा. इसके साथ ही अन्ना के विरोधी माफिया राम गोपाल मिश्रा के संपर्क में आ गया. यहां से उसने जुर्म की दुनिया में एंट्री की. फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

जेल में पूरी की लॉ की पढ़ाई

बबलू श्रीवास्तव ने कॉलेज से लॉ की पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन वह अपराध की दुनिया में आगे बढ़ चुका था. 1984 से शुरू हुआ उसका अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा था. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अवैध वसूली और हत्या जैसे तमाम मुकदमें दर्ज थे. 1989 में पुलिस से बचने के लिए नेपाल चला गया. नेपाल के माफिया डॉन और राजनेता मिर्जा दिलशाद बेग ने उसकी मुलाकात दाऊद इब्राहिम से कराई.वह दाऊद के साथ करने लगा.मगर, 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट के बाद दाऊद से रिश्ते खराब हो गए.

पुणे के एडिशनल कमिश्नर की हत्या में उम्रकैद

बबलू श्रीवास्तव ने तमाम हत्याएं की थी. मगर, पुणे में एडिशनल पुलिस कमिश्नर आईडी अरोड़ा की हत्या के मामले में बबलू का नाम सुर्खियों में आया. बबलू और उसके साथी मगे सैनी ने सरेआम एडिशनल कमिश्नर को गोलियों से भून दिया था. इस मामले की सुनवाई करते हुए. उसे और उसके साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. इसके बाद से तीनों जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच हैं.

एसटीएफ के संस्थापक आईपीएस ने किया खुलासा

बरेली के पूर्व डीआईजी एवं यूपी एसटीएफ के संस्थापक सदस्य डीआईजी राजेश पांडे ने अपनी वीडियो सीरीज “किस्सागोई” में सिलसिलेवार ढंग से बबलू श्रीवास्तव के बारे में बयान किया है. उनका कहना था कि,उस दौर की बात है, जब शताब्दी खत्म होने वाली थी, लेकिन लखनऊ की जरायम की दुनिया में एक नया गैंग मजबूती से कदम जमा रहा था. यह गिरोह था बबलू श्रीवास्तव का, जिसके दुस्साहस के पीछे अंतरराष्ट्रीय माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम का दिमाग काम कर रहा था. एक के बाद एक वारदात से यूपी की पुलिस थर्रा रही थी. इसी बीच यूपी एसटीएफ का गठन हुआ. इसके बाद लंबा वक्त बबलू श्रीवास्तव और पुलिस के बीच जोर आजमाइश में गुजरा. बबलू श्रीवास्तव के गैंग की कमर टूटने से लेकर उसके जेल के सींखचों के पीछे जाने तक का घटनाक्रम रोमांचकारी उतार चढ़ाव की लंबी शृंखला है.

एसटीएफ ने किया शिवप्रकाश का एनकाउंटर

डीआईजी का कहना था कि 22 सितंबर 1998 को शिवप्रकाश के एनकाउंटर के बाद यूपी एसटीएफ का देश भर में नाम हुआ. छह सितंबर को गुजरात के भुज निवासी नमक व्यवसायी बाबूराम सिंघवी के अपहरण की कोशिश हुई थी. वहां पुलिस को दो मोबाइल मिले, जिनसे पता लगा कि लखनऊ से घटना का लिंक है. तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवानी भुज से सांसद थे. यूपी एसटीएफ को गुजरात की घटना में लगाया गया कि कहीं शिवप्रकाश या उसके गैंग ने तो नहीं कराई. पता लगा कि बबलू श्रीवास्तव ने लखनऊ के नए अपराधियों से यह अपहरण कराने की कोशिश की थी. इसके बाद एसटीएफ बबलू की तलाश में जुट गई. कोलकाता में हुई मुठभेड़ में यूपी की एसटीएफ ने बबलू के चार साथियों को मारकर कमर तोड़ दी.

जेल में लिखा “अधूरा ख्वाब” किताब

बबलू और उसके साथी मंगेश उर्फ मंगे एवं कमलकिशोर सैनी 1999 से बरेली सेंट्रल जेल में बंद हैं. नैनी जेल से इन्हें प्रशासनिक आधार पर बरेली जेल ट्रांसफर किया गया था. पुणे के एसीपी एलडी अरोड़ा की हत्या के मामले में यह लोग सजा पा चुके हैं, कई और मामलों में दिल्ली, लखनऊ व अलग राज्यों में तारीख पर जाते रहते हैं. बताया जाता है कि बबलू श्रीवास्तव वर्ष 1995 में मॉरिशस में पकड़ा गया था, उसके बाद उसे भारत लाया गया.

बबलू ​श्रीवास्तव पर करीब 60 से अधिक अ​पराधिक मुकदमें दर्ज हैं. कोर्ट ने भी उसे कई मामलों मे सजा सुनाई है. कई बार सुनने में आया कि बबलू श्रीवास्तव के खिलाफ हत्या की साजिश रची जा रही है. इस साजिश के ​पीछे डी कंपनी का नाम है. हालांकि, पुलिस भी इस बात का खुलासा कर चुकी है कि बबलू श्रीवास्तव की हत्या के लिए बड़ी सुपारी दी गई थी, लेकिन वह बच गया. फिलहाल, वह बरेली की सेंट्रल जेल में बंद है और उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है.

बता दें कि जेल में कैद बबलू श्रीवास्तव ने ‘अधूरा ख्वाब’ नाम की एक किताब लिखी. इस किताब में माफिया ने अपनी जिंदगी की कई घटनाओं का ज्रिक किया है. इस किताब में उन वारदातों को उल्लेख किया गया है. जिसकी वजह से बबलू श्रीवास्तव का नाम किडनैपिंग किंग में तब्दील हो गया. उसने इस किताब में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से मुलाकात और उसके साथ काम करने का जिक्र भी किया है. इसके साथ ही बबलू ने दाऊद से दुश्मनी और गैंगवार को भी किताब में जगह दी है.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद, बरेली

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