Mahashivratri: साल 2024 में कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और महत्व

Mahashivratri 2024: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. साल 2024 में महाशिवरात्रि कब है. यह हर कोई जानना चाह रहा है. आइए जानते है महाशिवरात्रि से जुड़ी पूरी डिटेल्स

By Radheshyam Kushwaha | December 18, 2023 11:33 AM
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Mahashivratri 2024: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. भगवान शिव की पूजा के लिए शिवरात्रि का पर्व उत्तम माना गया है. महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. वर्ष 2024 में 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी, इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए हर साल फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस व्रत के फल से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है. इसमें महा का अर्थ महान, शिव हमारे देवता और रात्रि का अर्थ रात है. इन तीनों शब्दों का सीथा मतलब है ‘शिव की महान रात’. शिव-पार्वती के अलावा एक मान्यता ये भी है कि महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, इस नृत्य को सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है, इस दिन रात भर जागकर शिव और उनकी शक्ति माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों पर शिव और मां पार्वती की विशेष कृपा होती है. महाशिवरात्रि का रात्रि जागरण से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि की रात सोना नहीं चाहिए.

महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी. यह अगले दिन यानी 9 मार्च को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष काल में ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, इस प्रकार 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि के दिन पूजा का समय शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 28 मिनट तक रहेगा, इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं.

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महाशिवरात्रि पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठकर भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करें, इसके बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान करें. फिर आचमन से स्वयं को शुद्ध कर नए सफेद वस्त्र धारण करें. फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं. अब एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें. भगवान शिव को कच्चे दूध या गंगा जल से अभिषेक करें. फिर भांग, धतूरा, फल, फूल, मदार के पत्ते, बेलपत्र, नैवेद्य आदि चीजें चढ़ाएं. शिव चालीसा और शिव स्तोत्र का पाठ करें, इसके बाद पंचोपचार करें और भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें.

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