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Maha Shivratri 2022: इस दिन मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें

Maha shivratri 2022: महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. 1 मार्च को महाशिवरात्रि सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर बुधवार को 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी.

Maha shivratri 2022: महाशिवरात्रि इस साल 1 मार्च 2022 (Maha Shivratri 2022) को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. फाल्गुल मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

Maha Shivratri 2022: शुभ मुहूर्त

1 मार्च को महाशिवरात्रि सुबह 03 बजकर 16 मिनटसे शुरू होकर बुधवार को 2 मार्चको सुबह 10 बजे तक रहेगी. रात्रि में पूजन का शुभ समय शाम 06 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 33 मिनट तक होगी.

Maha Shivratri 2022:

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भांग-धतूरा, दूध, चंदन, भस्म जैसी कई चीजों को अर्पित करते हैं. लेकिन कई बार जाने-अनजाने में ऐसी चीजें भी चढ़ा देते हैं जिससे भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं. शिवपुराण में बताया गया है कि आखिर ऐसी कौन सी चीजें है जो शिवलिंग में नहीं चढ़ाना चाहिए.

Maha Shivratri 2022: शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये पूजा चीजें

महाशिवरात्रि के दिन शिंवलिंग पर अभिषेक के दौरान भूलकर भी पैकेट या पाश्चुरीकृत (गर्म किए दूध) को न चढ़ाएं. इसके अलावा शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता भी नहीं चढ़ाना चाहिए. कहा जाता है कि भगवान शिव को केतली या चंपा के फूल पसंद नही हैं. ऐसे में उन्हें चंपा या केतली के फूल अर्पित करने से बचना चाहिए. ध्यान रखने वाली बात ये है कि शिवलिंग पर टूटे हुए चावल और फटे या टूटे हुए बेलपत्र भी नहीं चढ़ाने चाहिए. शिवलिंग पर कुमकुम का तिलक भी पूरी तरह से निषेध है.

Maha Shivratri 2022: पूजा विधि

1. मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए.

2. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है.

3. शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है. हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं.

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