भगवान भोलेनाथ प्रिय वस्तुओं में सबसे ज्यादा प्रिय है उनमें से एक बिल्वपत्र है. बिल्वपत्र के पत्ते भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है. बिल्वपत्र को शिव को समर्पित करने से शिवभक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. सावन मास में शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
बिल्वपत्र की तीन पत्तियों में समाए है ये देवता
भगवान भोलेनाथ की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेलपत्र का विशेष महत्व है. सामान्य तौर पर बेलपत्र में एक साथ तीन पत्तियां होती हैं इन तीनों पत्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा कई लोग इसे त्रिशूल और भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक भी मानते हैं.
बेल वृक्ष की कथा
बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में स्कंद पुराण में बताया गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर धरती पर फेंक दिया था, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिर गई थी, जिससे इस बेल पत्र के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी. मान्यता है कि इस वृक्ष की जड़ो में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में देवी कात्यायनी का वास रहता हैं। कहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियां समाहित होती हैं.
शिव जी को इसलिए प्रिय है बेलपत्र
जब अमृत प्राप्ति के लिए देवों और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया तो सबसे पहला जल यानि हलाहल विष प्राप्त हुआ। विष का प्रभाव इतना तेज था कि सभी देव और दानव उससे जलने लगे। विष के प्रभाव से सारी सृष्टि का विनाश हो सकता था, परंतु किसी में भी विष को सहन करने की क्षमता नहीं थी, जिसके बाद सभी भगवान शिव के पास गए। सृष्टि से बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष का पान कर लिया। विष के प्रभाव से शिव जी का गला नीला पड़ गया और उनका शरीर तपने लगा। तब शिव जी के शरीर को शीतल रखने के लिए गंगा जल से अभिषेक करने के साथ देवी-देवताओं ने शिव जी को बिल्वपत्र खिलाए, जिसके प्रभाव से शिव जी के शरीर की तपन कम होने लगी। मान्यता है कि तभी से शिव जी को बिल्वपत्र बहुत प्रिय हैं.
Posted By: Shaurya Punj