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Mahashivratri 2022: इस दिन मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, देखें पूजा सामग्री लिस्ट

Mahashivratri 2022: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022, मंगलवार को मनाया जाएगा.

Mahashivratri 2022: फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है. हिंदू धर्म में इस महाशिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है. इस दिन भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022, मंगलवार को मनाया जाएगा.

Mahashivratri 2022: पूजन का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि के पहले प्रहर की पूजा- 1 मार्च, 2022 शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट तक है.

इस दिन दूसरे प्रहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट तक होगी.

तीसरे प्रहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3 :39 मिनट तक है.

चौथे प्रहर की पूजा- 2 मार्च सुबह 3:39 मिनट से 6:45 मिनट तक है.

पारण समय- 2 मार्च, बुधवार 6:45 मिनट के बाद

Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि की पूजा विधि

1- शिव रात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं. केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं. पूरी रात्रि का दीपक जलाएं. चंदन का तिलक लगाएं.

2- तीन बेलपत्र, भांग धतूर, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांट.

3 – पूजा में सभी उपचार चढ़ाते हुए ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.

Mahashivratri 2022: पूजा सामग्री

महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री विशेष होती है. पूजा सामग्री में उन चीजों को प्रयोग में लाया जाता है जो भगवान शिव की प्रिय होती हैं. पूजा सामग्री में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा में दही, मौली, अक्षत(चावल), शहद, शक्कर, पांव प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कुमकुम, पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल के साथ-साथ इन चीजों को भी शामिल करते हैं- बेलपत्र भांग मदार धतूरा गाय का कच्चा दूध चंदन रोली कपूर केसर

Mahashivratri 2022: चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी हैं

प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’

दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’

तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’

चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। मंत्र का जाप करना चाहिए।

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