Varanasi: दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर बेहद उत्साह का माहौल है. काशी में गली चौराहों पर बम बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. काशी की महाशिवरात्रि पूरी दुनिया में आकर्षण का केंद्र रहती है, क्योंकि इस पर्व पर काशी विश्वनाथ के विवाह से जुड़े कई आयोजन और रस्में की जाती हैं. काशीपुराधिपति के तिलकोत्सव के बाद गुरुवार को उन्हें हल्दी लगाई जाएगी.
काशी में महाशिवरात्रि पर विवाहोत्सव से पहले आज काशी विश्वनाथ को हल्दी लगाई जाएगी. गुरुवार को टेढ़ीनीम स्थित महंत के आवास पर बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह के सामने हल्दी तेल का लोकाचार पूर्ण होगा. संध्या बेला में भगवान शिव को हल्दी लगाते देखने के लिए श्रद्धालुओं में बेहद उत्साह है. हल्दी की रस्म के दौरान मंगल गीत गाये जाएंगे. ढोल मंजीरों की धुन पर भगवान भोले का गुणगान होगा और लोग महाशिवरात्रि पर्व के आंनद में सराबोर हो जाएंगे.
इस दौरान काशी विश्वनाथ के भक्त भगवान शंकर और मां पार्वती के मंगल दांपत्य की कामना के गीत गाए जाएंगे. हल्दी के पारंपरिक शिव गीतों में दूल्हे की खूबियों का बखान किया जाएगा. इन्हीं गीतों के जरिये महादेव को दुल्हन का ख्याल रखने को बोला जाएगा. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
Also Read: Mahashivratri 2023 Rudrabhishek Puja: शिवरात्रि पर है रुद्राभिषेक का अलग महत्व, जानें इसके प्रकारकाशी में महाशिवरात्रि पर्व के पूजन अर्चन की बात करें तो महानिशा के चारों प्रहर में बाबा विश्वनाथ की आरती होगी. बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के विवाह का कर्मकांड परंपरानुसार पूरा किया जाएगा. इसे लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. श्रद्धालुओं में शिव पार्वती के विवाह को लेकर बेहद उत्साह है.
इसके साथ ही इस बार महाशिवरात्रि पर निकलने वाली शिव बारात बेहद खास होगी. शिव बारात पहली बार पंचबदन शिव की प्रतिमा संग निकलेगी. 40 साल बाद संकल्प पूरा होने के कारण ऐसा हो रहा है.चार दशक पूर्व जब शिव बारात की शुरूआत हुई थी तो काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत स्व. कौशल पति त्रिपाठी से पंचबदन प्रतिमा की मांग पर उन्होंने कहा था कि अगर 40 साल तक शिव बारात निकलती रही तो 41वें वर्ष में प्रतीक शिवलिंग के स्थान पर पंच बदन रजत शिव की प्रतिमा शामिल होगी. अब महंत के पुत्र कुलपति तिवारी इस संकल्प को पूरा करेंगे और पहली बार शिव बारात में पंचबदन प्रतिमा को शामिल किया जाएगा.
इसके सथ ही शिव बारात में जी-20 के राष्ट्राध्यक्ष का मास्क लगाकर और झंडा लेकर शिवगण शामिल रहेंगे. 15 फीट लंबा और आठ फीट ऊंचा जी-20 का प्रतीक चिह्न भी बारात के साथ ही चलेगा. ये पहला मौका होगा जब शिव बारात के 41वें साल में प्रतीक शिवलिंग के स्थान पर पंचबदन शिव प्रतिमा को शामिल किया जाएगा.
बाबा विश्वनाथ अपने गण, भूत, पिशाच, गंधर्व, नर-किन्नर के साथ होली खेलते नजर आएंगे. झांकियों में काशी की विकास यात्रा, मटकी फोड़ होली, बरसाने की लठ्ठमार होली, मशाने की होली और पूर्वांचल की होली की झांकी भी आकर्षण का केंद्र होगी.