ज्योतिषी संतोषाचार्य, कुंडली व वास्तु विशेषज : हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जानेवाला महाशिवरात्रि का यह महापर्व चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है. महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए उनकी स्तुति करने और आशीर्वाद लेने का उत्तम अवसर है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. शिवपुराण, लिंग पुराण इत्यादि ग्रंथों के अनुसार, महाशिवरात्रि साधना की रात्रि है. धार्मिक दृष्टि से इस दिन का बड़ा ही महत्व है. महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है. इस दिन परम सिद्धि दायक भगवान भोलेनाथ का व्रत, अभिषेक और पूजन करने वाला व्यक्ति परम भाग्यशाली होता है.
शिव महापुराण के अनुसार, शिवरात्रि पूजन के लिए प्रथम प्रहर में भगवान शिव का अभिषेक शिव के ईशान स्वरूप का ‘ऊं ह्रीं ईशान्य नम’ मंत्र का जप करते हुए दूध से करना चाहिए. द्वितीय प्रहर में अघोर स्वरूप का ‘ऊं ह्रीं अघोराय नम’ जपते हुए दही से अभिषेक करें. तृतीय प्रहर में वामदेव रूप का ‘ऊं ह्रीं वामदेवाय नम’ का जप करते हुए घी से अभिषेक करें. चतुर्थ प्रहर में सद्योजात स्वरूप का ‘ऊं ह्रीं सद्योजाताय नम’ का जप करते हुए शहद से अभिषेक करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है. महाशिवरात्रि की रात महासिद्धिदायिनी होती है, इसलिए इस समय किये गये दान और पूजा व स्थापना का फल निश्चित रूप से प्राप्त होता है. शिवरात्रि के व्रत को चतुर्दशी में ही आरंभ कर इसकी समाप्ति चतुर्दशी काल में ही करना श्रेयस्कर माना गया है. इस दिन गेंहू, चावल, बेसन, मैदा, मांस-मदिरा इत्यादि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
इस वर्षमहाशिवरात्रि का पर्व त्रिग्रही योग के कारण बेहद खास रहने वाला है. इस वर्ष 17 जनवरी को न्याय के देवता शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ राशि में विराजमान हुए थे. 13 फरवरी को ग्रहों के राजा सूर्य नारायण भी इस राशि में प्रवेश कर चुके हैं. आज, शनिवार, 18 फरवरी को शनि देव और सूर्य देव के अलावा चंद्र देव भी कुंभ राशि में होंगे. कुंभ राशि में ये तीनों मिलकर त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे, जो एक बड़ा ही दुर्लभ संयोग बना है.
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शिव आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि आज, शनिवार, 18 फरवरी को हर्षोल्लास से मनाया जायेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आज रात्रि 8:05 बजे से अगले दिन रविवार, 19 फरवरी को शाम 4:21 बजे तक रहेगी. शिवरात्रि में निशिथकाल पूजा का विशेष महत्व होता है. महानिशीथ काल रात्रि 11:45 बजे से 12:35 बजे तक रहेगी. इस अवसर पर श्रवण नक्षत्र में त्रिग्रही योग के साथ-साथ शनि प्रदोष व्रत और सर्वार्थसिद्धि योग अपराह्न 05:44 से अगले दिन पूर्वाह्न 07:07 बजे तक का संयोग साधना में सफलता देने वाला होगा.
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प्रथम प्रहर पूजा 18 फरवरी को संध्या 06:23 से रात्रि 09:33 बजे तक.
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द्वितीय प्रहर पूजा 18 फरवरी को रात 09:34 बजे से रात 12:43 बजे तक.
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तृतीय प्रहर पूजा 19 फरवरी को रात्रि 12:44 बजे से प्रात: 03:53 बजे तक.
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चतुर्थ प्रहर पूजा 19 फरवरी को रात्रि 03:54 बजे से सुबह 07:03 बजे तक.