लोहरदगा की महेश्वरी देवी बकरी पालन और खेती से कर रही अच्छी आमदनी, महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा स्रोत

महेश्वरी का मानना है कि महिलाएं अपने क्षेत्र की महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर सफलता पा सकती हैं और स्वयं को स्वावलंबी बना सकती हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2023 11:29 AM
an image

लोहरदगा जिले में ऐसे कई महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी बुलंद हौसले व व्यवसायिक सोच के कारण सफलता प्राप्त कर अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है. उन्हींमें से एक नाम महेश्वरी देवी का भी हैं. लोहरदगा जिले के पेशरार प्रखंड अंतर्गत पंचायत सीरम निवासी महेश्वरी देवी पति सुशील सिंह विशेष कर उन महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हैं, जो अपनी कुछ आय का सृजन करना चाहती हैं, परंतु आर्थिक सहायता के अभाव में कुछ नहीं कर पा रही हैं.

वैसे महिलाओं को एक राह दिखाने का कार्य कर रहीं महेश्वरी का मानना है कि महिलाएं अपने क्षेत्र की महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर सफलता पा सकती हैं और स्वयं को स्वावलंबी बना सकती हैं. विदित हो कि महेश्वरी देवी एसएचजीएस आजीविका महिला समूह जेएसएलपीएस के माध्यम से वर्ष 2017 में एसएचजीएस से जुड़ीं और एसएचजीएस में जुड़ने के बाद महेश्वरी ने बकरी पालन व्यवसाय के लिए 15 हजार रुपये ऋण लिया.

उस पैसे से उन्होंने तीन बकरी की खरीद किये और उनका पालन अच्छे से करने लगी. इन तीनों बकरियों ने 2-2 बच्चे को जन्म दिए, जिसके बाद उनके घर में कुल नौ बकरियां हो गयीं. छह बच्चों में से तीन बकरा का बिक्री करके महेश्वरी देवी ने 30 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त की. प्राप्त आमदनी के पैसों से उन्होंने टमाटर की खेती 30 डिसमिल में किया. इससे उनको 40 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त हुई और बाकी बचे बकरी बिक्री के पैसों का उपयोग उन्होंने अपने बच्चों की स्कूल पढ़ाई में लगाया, जिससे उनको अपनी घर की आजीविका बढ़ाने की एक उम्मीद बनी.

इसके बाद महेश्वरी देवी ने क्रेडिट लिंकेज ऋण से 50 हजार, रुपये ऋण लिया और उन पैसों से खेती बाड़ी करने लगी. इस दौरान माहेश्वरी ने 30 डिसमिल में बैगन और 40 डिसमिल में करैला की खेती की. इसमें स्टाकिंग करना, ट्रेल्लेजिंग करना, स्टिकी ट्रैप लगाना इत्यादि तकनीकें शामिल हैं. उन्होंने उस दौरान बैगन से 15 हजार रुपये और करैला की खेती से 25 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त की.

उनका कहना है कि उनको प्रत्येक सीजन में 30 से 40 हजार का आमदनी खेती से प्राप्त होती है और बकरी बिक्री करके उनको 10 से 15 हजार की आमदनी साल में प्राप्त हो जाती है. महेश्वरी ने बताया कि उनके बच्चों की शिक्षा स्तर में सुधार हुआ है और वह खेती से प्राप्त पैसों से अपने क्षेत्र में किराना स्टोर की दुकान खोलने की तैयारी कर रही हैं.

Exit mobile version