तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को लोकसभा से अपने निष्कासन की तुलना ‘कंगारू अदालत’ द्वारा सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है.
यह विवाद दुर्गा पूजा से ठीक पहले 15 अक्टूबर को शुरू हुआ था. उसके बाद उस विवाद से राज्य और राष्ट्रीय राजनीति भी कम उथल-पुथल वाली नहीं रही. ‘पैसे के बदले सवाल’ विवाद के चलते शुक्रवार को लोकसभा में तृणमूल सांसद महुआ मैत्रा का संसदीय पद खारिज कर दिया गया.
निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, ”मैं 49 साल की हूं और अगले 30 साल तक संसद के अंदर और बाहर लड़ती रहूंगी.पूजा से ठीक पहले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने तृणमूल सांसद महुआ पर संसद में ‘रिश्वत के बदले सवाल’ उठाने का आरोप लगाया था.
लोकसभा की आचार समिति की सिफारिश पर सदन की सदस्यता से निष्कासित किये जाने के कुछ मिनट बाद अपनी प्रतिक्रिया में मोइत्रा ने कहा कि उन्हें उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है और उन्हें नकदी या उपहार दिए जाने का कोई सबूत नहीं है.
लोकसभा की आचार समिति ने ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में महुआ मोइत्रा को सदन की सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की थी.
महुआ मोइत्राउन्होंने कहा कि इस मामले में दो शिकायतकर्ताओं में से एक उनका पूर्व प्रेमी है जो गलत इरादे से आचार समिति के सामने आम नागरिक के रूप में पेश हुआ.
महुआ ने कहा, ‘‘आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य है, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है.
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ पूरा मामला ‘लॉगिन विवरण’ साझा करने पर आधारित है, लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं हैं.
टीएमसी सांसद के रूप में अपने निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, “एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है.यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है.
लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन पर महुआ मोइत्रा ने कहा, “.अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे.