Bengal News : दमदम थानांतर्गत इटालगाछा रोड निवासी एक प्रसिद्ध मैथिली कवि व साहित्यकार रामलोचन ठाकुर पिछले तीन दिनों से लापता हैं. वह अपने घर से निकले लेकिन फिर लौट कर नहीं आये. रामलोचन ठाकुर एक प्रसिद्ध मैथिली कवि होने के साथ ही उन्होंने कई बंगला पुस्तकों का मैथिली में अनुवाद भी किया है, जिसमें माणिक बंद्योपाध्याय, शक्ति चट्टोपाध्याय और हुमायूं अहमद की पुस्तकें भी शामिल हैं.
उन्होंने महत्वपूर्ण पत्रिकाओं का संपादन भी किया है, जिसमें अंतिम मिथिला दर्शन हैं. उनकी बेटी सबिता साहा का कहना है कि पिताजी को अल्जाइमर की बीमारी है, जिसका पिछले दो सालों से इलाज चल रहा है. वह 12 फरवरी को इटालगाछा रोड स्थित अपने घर से निकले थे लेकिन फिर लौटे नहीं. शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे के करीब मां बाजार से घर लौटी थीं लेकिन उस समय ध्यान से उतर गया दरवाजा बंद करना और बस उतने में पापा घर से निकले और फिर लौट कर नहीं आये.
पापा की बीमारी के कारण अक्सर घर में दरवाजे में ताला लगा रहता था. पहले वह कई बार घर से निकलते थे और एक से डेढ़ घंटों में घुमकर लौट आते थे. पांच साल पहले एक बार इस बीमारी का शक हुआ था और फिर बाद में डॉक्टरों को दिखाये जाने के बाद उनके रोग का पता चला. पिछले दो सालों से उनका इलाज चल रहा था.
लॉकडाउन के दौरान सही से इलाज नहीं हो पाने के कारण उनकी बीमारी बढ़ गयी थी लेकिन पिछले एक माह से फिर से इलाज सुचारू रूप से शुरू हुआ था. इसी दरमियान यह घटना हुई. उनके लापता होने से परिवार वाले चिंतित है. इधर, दमदम थाने की पुलिस का कहना है कि इस मामले में शिकायत दर्ज करायी गयी है. पुलिस पता लगा रही है.
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Posted By : Avinish kumar mishra