धनबाद में होगा त्राहिमाम! मैथन और पंचेत का जलस्तर घटा, तोपचांची झील में बचा सिर्फ 100 दिन का पानी

इस साल धनबाद जिले में एक जून से लेकर अब तक 319.2 एमएम बारिश कम हुई है. पिछले साल की तुलना में इस साल मैथन में 14 और पंचेत व तोपचांची में 12 फीट पानी कम है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि धनबाद के लोग जल संकट के लिए तैयार रहें.

By Prabhat Khabar News Desk | August 28, 2023 3:03 PM

Dhanbad News: इस साल मानसून की बेरुखी का असर जिले के तीनों डैमों पर पड़ा हैं. पिछले साल की तुलना में तीनों डैम में जलस्तर 12 से 14 फीट तक कम है. बारिश की बेरुखी ऐसी ही रही तो आने वाले समय में जिले में लगभग पांच लाख की आबादी को गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि इस साल धनबाद जिले में एक जून से लेकर अबतक 472.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई. जबकि, यहां सामान्य वर्षा 791.7 एमएम होनी चाहिए थी. इस हिसाब से धनबाद जिले में इस साल जून से अबतक लगभग 40 प्रतिशत कम बारिश हुई है. वर्तमान में मैथन डैम में पिछले वर्ष की तुलना में 14 फीट, पंचेत डैम में 12 फीट व तोपचांची झील में लगभग 12 फीट कम पानी है.

धनबाद शहरी जलापूर्ति योजना में इस्तेमाल होता है मैथन डैम का पानी

वर्तमान में मैथन डैम का जलस्तर 463.65 फीट है. जबकि, पिछले साल मैथन डैम का जलस्तर आज की तिथि में 477.66 था, जो लगभग 14 फीट तक कम हैं. मैथन डैम का पानी धनबाद शहरी जलापूर्ति योजना में इस्तेमाल किया जाता है. यानि, पूरे शहर में मैथन का पानी सप्लाई की जाती है. इसके अलावा मैथन डैम से हर दिन पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर बैराज तक पानी जाता है.

तोपचांची झील में 28 फीट भरी है गाद

तोपचांची झील को कतरास-तोपचांची की लाइफ लाइन माना जाता है. माडा के अधिकारियों के अनुसार वर्तमान में झील में सिर्फ 39 फीट पानी बचा है. इस पानी से कतरास के तिलाटांड़ रिजर्वायर व तोपचांची के इलाके की सौ दिनों तक प्यास बुझा सकते हैं. तोपचांची झील की गहराई 72 फीट है. इसमें से 28 फीट गाद भरा हुआ है. पिछले साल झील का जलस्तर 60 फीट था.

रघुनाथपुर व पुरुलिया तक जाता है पंचेत डैम का पानी

पंचेत डैम का जलस्तर वर्तमान में 404.89 फीट रिकॉर्ड किया गया. जबकि, पिछले वर्ष पंचेत डैम का जलस्तर 416. 90 फीट रिकॉर्ड किया गया था. यानि, पिछले साल की तुलना में डैम में लगभग 12 फीट कम पानी है. बता दें कि पंचेत डैम का पानी पश्चिम बंगाल के रघुनाथपुर, पुरुलिया तक जाती है. यहां कृषि एवं घरेलू उपयोग के लिए इसका उपयोग किया जाता है.

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