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Makar Sankranti 2023: 14 या 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति ? यहां जानें सही तारीख

Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं.वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन साल 2023 में मकर संक्रांति की सही तिथि को लेकर थोड़ा संशय है.यहां जानें मकर संक्राति की रही तारीख

By Shaurya Punj | January 9, 2023 4:38 PM

Makar Sankranti 2023: भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है.मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है.मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है.इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं.वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन साल 2023 में मकर संक्रांति की सही तिथि को लेकर थोड़ा संशय है.यहां जानें मकर संक्राति की रही तारीख

मकर संक्रांति 2023 मुहूर्त (Makar Sankranti 2023 Date)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव धनु राशि से 14 जनवरी 2023 को रात 8 बजकर 20 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे.मकर संक्रांति का मुहूर्त 15 जनवरी 2023 को सुबह करीब 6 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.ऐसे में साल 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति 2023 पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें.फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें.इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें.इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें.

मकर संक्रांति के दिन करें ये कार्य

  • मकर संक्रांति के दिन पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए. इससे कुंडली में ग्रह-दोष दूर होते हैं.

  • मकर संक्रांति के दिन काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिश्रित जल से सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

  • मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन गरीबों को दान दें.

  • मकर संक्रांति के दिन गुड़ और तिल मिठाई खाने के साथ ही खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा है.

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