Makar Sankranti 2024: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का अपना एक अलग महत्व होता हैं, इस दिन भगवान सूर्यदेव का पूजन किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्राति के दिन भगवान सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसके साथ ही इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी 2024, दिन सोमवार को मनाया जाएगा. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान व दान करते हैं. ऐसा भी माना जाता हैं कि अगर आप मकर संक्रांति के दिन विधि-विधान के साथ सूर्यदेव की पूजा करते हैं तो आपकी कुंडली से सभी दोष समाप्त हो जाएगी, इसके साथ ही ग्रहों की स्थिति भी मजबूत होगी. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करने और खिचड़ी खाने का भी परंपरा है. आइए जानते हैं कि आखिर इस दिन खिचड़ी क्यों खाया जाता हैं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी. क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि में अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. 14 और 15 जनवरी की रात 02 बजकर 54 मिनट पर सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. वहीं, 15 जनवरी 2024 को शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा, इसके साथ ही महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजे तक रहेगा, कहा जाता हैं कि इस दौरान पूजा-पाठ और दान करना बेहद लाभकारी माना जाता हैं. इस बार मकर संक्रांति के दिन रवि योग सहित कई अद्भुत योग बन रहे हैं, माना जाता हैं कि इन योगों में गंगा स्नान, पूजा, जप और तप करने से दोगुना फल मिलता है.
पौराणिक मान्यतों के अनुसार, सभी लोग इस दिन खिचड़ी बनाते हैं और सूर्य देव को भोग लगाकर इसे खाते हैं. खिचड़ी बनाना न सिर्फ एक रिवाज है, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छे भी होते हैं. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से सूर्य और शनि ग्रह मजबूत होते हैं. इसके साथ ही करियर में सफलता भी प्राप्त होता हैं. ऐसा माना जाता है कि सूर्य व शनि ग्रह की स्थिति ठीक होने से जातक के जीवन में कभी भी कोई समस्या नहीं आती हैं.
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि बाबा गोरखनाथ के समय से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और बांटने की परंपरा शुरु हुआ था. जिस समय मोहमद खिलजी ने भारत पर आक्रमण किया था, तब नाथ योगियों को युद्ध के बीच खाना बनाने का समय नहीं मिलता था और वे सभी भूखे पेट लड़ाई के लिए निकल जाते थे. तभी गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी पकाने की सलाह दी, इससे पेट भी भरता था और पूरा पोषण भी मिलता था. जब खिलजी से युद्ध के बाद मुक्ति मिली तो योगियों ने मकर संक्रांति के दिन उत्सव मनाया और याद के रूप में खिचड़ी बनाई और इसके साथ ही सभी को बांटी भी जाने लगी. बता दें कि हर साल गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला भी लगता है और वहां का खिचड़ी पर्व पूरी दुनिया में मशहूर हैं.