Makar Sankranti 2023: सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है, इसे लोग उत्साह के साथ मनाते हैं, इस दिन भगवान सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति को खिचड़ी और उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है. मकर संक्रांति से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी. क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि में अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. 14 और 15 जनवरी की रात 02 बजकर 54 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं.
मकर संक्रांति का पर्व भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है. भक्त इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई शुरू होती है. मकर संक्रांति पर भक्त गंगा, यमुना, नर्मदा और शिप्रा नदी में पवित्र स्नान करते हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इस दिन गंगा स्नान और जरूरतमंद लोगों को भोजन, दालें, अनाज, गेहूं का आटा और ऊनी कपड़े दान करना शुभ माना जाता है.
मकर संक्रांति पर स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें, इसके बाद सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. फिर नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि दोष से राहत मिलती है.
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मकर संक्रांति पर हर साल गंगा घाट पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती हैं. मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है, इस दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों को दान करने से पुण्य लाभ मिलता है. काले तिल के दान से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं. इस दिन नए अन्न, कम्बल, घी, वस्त्र, चावल, दाल, सब्जी, नमक और खिचड़ी का दान करना सर्वोत्तम होता है. मकर संक्रांति के दिन तेल का दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
01. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
02. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
03. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
04. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा .
05. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्य दिवाकर:
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मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें. गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें, इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है. आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं.