ममता बनर्जी के साथ अभिषेक बनर्जी भी शामिल होंगे विपक्षी दलों की बैठक में, बेंगलुरु में 18 जुलाई को है मीटिंग
भारतीय जनता पार्टी को हराने की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए संयुक्त विपक्ष की बैठक 18 जुलाई को होने जा रही है. बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होंगी. उनके साथ उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी जायेंगे. बैठक 18 जुलाई को बेंगलुरु में बुलायी गयी है.
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्ष की बैठक का हिस्सा होंगी. 18 जुलाई को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में होने वाली बैठक में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ बेंगलुरु जायेंगी. बैठक में लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को किस तरह से हराया जाये, इस रणनीति पर सभी दल मिलकर मंथन करेंगे. न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी है.
पटना में हुई थी विपक्षी दलों की पहली बैठक
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश हो रही है. ममता बनर्जी के कहने पर ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल शुरू की थी. पटना में इसकी पहली बैठक हुई थी, जिसमें एक दर्जन से अधिक पार्टियों के नेता शामिल हुए थे. बिहार की राजधानी में आयोजित पहली बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ शामिल हुईं थीं.
अरविंद केजरीवाल भी आये थे पटना
बिहार में हुई विपक्षी दलों की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी शामिल हुए थे. पटना में हुई बैठक में तय हुआ था कि अगली बैठक शिमला में होगी. लेकिन, बाद में बैठक के स्थल को बदल दिया गया. बैठक की तारीख भी बदल दी गयी. अभी तय हुआ है कि 18 जुलाई 2023 को विपक्षी दलों की बैठक बेंगलुरु में होगी.
भाजपा से अकेले मुकाबला नहीं कर सकती कोई पार्टी
बता दें कि पटना की बैठक में सभी दलों ने माना था कि किसी भी पार्टी के लिए अकेले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हरा पाना संभव नहीं है. इसलिए सभी दलों को एकजुट होकर लड़ना चाहिए. लोकसभा की सभी सीटों पर भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन का एक उम्मीदवार हो, ऐसी व्यवस्था करनी होगी. इसी पर विचार-विमर्श के लिए लगातार बैठकों का दौर जारी रहना चाहिए.
2021 से ही ममता बनर्जी कर रहीं विपक्षी दलों से मुलाकात
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरू किया था. तब ऐसा माना जा रहा था कि ममता बनर्जी खुद को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करेंगी और अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री की कमान सौंप देंगी. हालांकि, बाद में ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार से मुलाकात के दौरान उनसे कहा कि देश में सरकार के खिलाफ जेपी ने सबसे बड़ा आंदोलन खड़ा किया था. एक बार फिर वहीं से सरकार के खिलाफ आंदोलन का आगाज होना चाहिए.
नीतीश कुमार कर रहे विपक्षी एकता की पहल
ममता बनर्जी की इस सलाह पर नीतीश कुमार ने पहल की और बिहार के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के साथ विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरू किया. काफी मशक्कत के बाद आखिरकार पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई. लेकिन, बैठक से पहले आम आदमी पार्टी ने कथित तौर पर शर्त रख दी कि वह विपक्षी गठबंधन का हिस्सा तभी बनेगी, जब संसद में कांग्रेस और अन्य पार्टियां पीएम मोदी सरकार के अध्यादेश के खिलाफ उसका समर्थन करेंगी. हालांकि, बाद में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर अलग से बात होगी.
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पटना की बैठक से नाराज होकर चली गयीं थीं ममता
इसी बैठक के दौरान एक और घटनाक्रम हुआ कि माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ममता बनर्जी के रहते भाषण देने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी जब चली जायेंगी, तब वह बोलेंगे. इससे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो बेहद नाराज हुईं और सभागार से उठकर चली गयीं.
तृणमूल ने कांग्रेस को कहा था भाजपा का मित्र
पश्चिम बंगाल में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ने कांग्रेस और वामदलों पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों की एकजुटता पर अभी से सवाल खड़े होने लगे हैं. उन्होंने माकपा, कांग्रेस और भाजपा पर आरोप लगाया था कि तीनों पार्टियों ने मिलकर बंगाल पंचायत चुनाव में हिंसा की.