कोलकाताः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी का बंगाल विधानसभा में आमना-सामना होगा. विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व कभी उनके सबसे करीबी नेता रहे शुभेंदु अधिकारी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद दूरियां बढ़ गयीं.
ममता व शुभेंदु के बीच की तल्खी उस समय और भी बढ़ गयी, जब भाजपा ने शुभेंदु अधिकारी को नंदीग्राम से उम्मीदवार बना दिया. विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा होने के बाद से तो तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच दूरियां इतनी बढ़ गयी हैं कि सुश्री बनर्जी अब शुभेंदु के बारे में कोई चर्चा तक नहीं करना चाहतीं.
शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी भर से बंगाल की मुख्यमंत्री और सत्ताधारी दल की सबसे बड़ी नेता ममता बनर्जी नाराज हो जाती हैं. ऐसा ही कुछ वाकया पिछले दिनों देखने को मिला था, जब शुभेंदु की वजह से मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया.
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पश्चिम बंगाल में यश चक्रवात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तूफान से प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे थे. इस बैठक में शुभेंदु अधिकारी की उपस्थिति मुख्यमंत्री को रास नहीं आयी और उन्होंने प्रधानमंत्री से अलग से मुलाकात की और राज्य को हुए नुकसान की रिपोर्ट सौंपकर चली गयीं. उन्होंने पीएम के साथ बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
अब शुक्रवार (2 जुलाई) से पश्चिम बंगाल विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री हैं, तो शुभेंदु अधिकारी विपक्ष के नेता. ऐसे में बजट सत्र की शुरुआत में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान उनका मौजूद रहना अनिवार्य है.
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यह पहला मौका होगा, जब ममता बनर्जी व शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने होंगे. यह मुकालात कैसी होगी, उनका क्या रिएक्शन होगा, यह देखने की बात होगी. बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय जब अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में लौटे थे, तो शुभेंदु अधिकारी से संबंधित एक सवाल पूछे जाने पर ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म कर दी थी.
गौरतलब है कि पिछले दिनों विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में शुभेंदु अधिकारी शामिल नहीं हुए थे. हालांकि, वह उस समय विधानसभा परिसर में मौजूद थे, लेकिन उन्होंने सर्वदलीय व बिजनेस एडवाइजरी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था.
Posted By: Mithilesh Jha