नंदीग्राम : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मेदिनीपुर के नंदीग्राम में सोमवार को एक विशाल जनसभा को संबोधित किया. वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले मेदिनीपुर जिला की जनता से उन्होंने अपनापन कायम करते हुए कहा, ‘यदि मुझसे कोई गलती हो जाये, तो मुझे थप्पड़ मार लेना. लेकिन, कभी भी आपलोग मुझसे मुंह मत फेरना.’
शुभेंदु अधिकारी के तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के बाद ममता बनर्जी की यह पहली जनसभा थी. ममता ने एक तरह से यहां शक्ति प्रदर्शन किया. ममता की रैली मेदिनीपुर के अधिकारी परिवार (शुभेंदु अधिकारी और उनका परिवार) को यह बताने की कोशिश थी कि इस परिवार के बगैर भी नंदीग्राम या मेदिनीपुर जिला में तृणमूल कमजोर नहीं है.
ममता बनर्जी को नंदीग्राम में हर साल आयोजित होने वाले शहीद दिवस (7 जनवरी) को यहां आना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह यहां नहीं आ सकीं. तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि जिला इकाई के नेता के कोरोना से संक्रमित होने की वजह से ममता बनर्जी के कार्यक्रम को टाल दिया गया है. वहीं, भाजपा ने दावा किया था कि शुभेंदु अधिकारी के पार्टी छोड़ने के बाद ममता बनर्जी को इस बात का डर सता रहा है कि उनकी सभा में भीड़ नहीं होगी. इसलिए उन्हें अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ममता बनर्जी की इस सभा से शुभेंदु अधिकारी के परिवार को दूर रखा गया. उनके पिता और तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे शिशिर अधिकारी को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया. जिलाध्यक्ष के पद से शिशिर को पहले ही हटाया जा चुका है. उनके एक बेटे ने भाजपा का झंडा थामा, तो दूसरे बेटे को कांथी पौरसभा के प्रशासक के पद से हटा दिया गया.
इसके बाद कांथी पौरसभा के प्रशासक रहे शुभेंदु के भाई दिव्येंदु अधिकारी ने भी तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. अब चर्चा है कि शिशिर अधिकारी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इस संबंध में जब उनसे पिछले दिनों पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. वहीं, तृणमूल का कहना है कि किसी के आने-जाने से कुछ नहीं होता.
Posted By : Mithilesh Jha