West Bengal Budget: पश्चिम बंगाल में विधानसभा सत्र जारी है. इस सत्र में ममता सरकार कानून व्यवस्था को मजबूत करने पर खासा ध्यान दे रही है. इसी क्रम में अब ममता बनर्जी की सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ कड़ा कानून लाने का फैसला किया है. दरअसल, मंगलवार को विधानसभा में पश्चिम बंगाल मेंटेनेंस ऑफ पब्लिक ऑर्डर विधेयक 1972 में संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया. इस विधेयक के तहत अब सरकारी संपत्ति की तोड़फोड़ या लूटपाट करने वालों से उनकी संपत्ति जब्त कर भरपाई की जाएगी.
विधेयक पारित कर कानून को और सख्त बनाया गया है. इससे पहले सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती थी और आरोपी को मुआवजा देना पड़ता था. पर इस विधेयक के कानून बनने के बाद अब आरोपी को मुआवजा और उसकी संपत्ति भी कुर्क की जाएगी.
विधानसभा में इस विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए राज्य वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि सरकारी या निजी संपत्ति की तोड़फोड़ करने वाले व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज कर सुनवायी के लिए 60 दिन के भीतर कोर्ट में आवेदन करना होगा. इसके बाद 180 दिन के भीतर आरोपी की संपत्ति जब्त राज्य सरकार कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी.
वहीं 80 दिनों में प्रक्रिया पूरा नहीं होने पर जब्त की गयी संपत्ति को लौटाना होगा. इसलिए काफी साफगोही के साथ प्रशासन इस कार्य को करेगी. वहीं कोर्ट में राज्य सरकार के इस कानून के तहत सुनवायी होगी. इसके साथ ही ओरोपी व्यक्ति को बताना होगा कि उसकी संपत्ति क्यों जब्त न की जाये. वहीं जब्त की गयी संपत्ति की नीलामी से मालिक या सरकार की क्षतिपूर्ति की भरपाई की जायेगी.
बंगाल से पहले साल 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी नागरिकता अधिनियम का विरोध करने वालों के खिलाफ कानून पास किया था. उस वक्त बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने इस बात की निंदा की थी. वहीं अब विधेयक आने के बाद बीजेपी ने ममता सरकार से यह सवाल किया है कि अगर यूपी के इस कानून की विरोधमता की तो बंगाल में इसकी जरूरत क्यों पड़ी. इस सवाल पर बीजेपी को जवाब देते हुए राज्य वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश से बंगाल के कानून में बहुत फर्क है. बंगाल के विधेयक के अनुसार सरकार मन मर्जी से किसी की भी संपत्ति जब्त नहीं कर पाएगी.