कोलकाता. अदाणी समूह पर लगे आरोप का साया बंगाल पर भी पड़ने की आशंका है. राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट ताजपुर बंदरगाह पर संकट के बादल छाने लगे हैं. इस बंदरगाह को तैयार करने के लिए अदाणी समूह से बात भी हो गयी है. अदाणी समूह ने बंदरगाह तैयार करने का दायित्व लिया है. लेकिन समूह पर लगे हालिया आरोप के बाद इस पर आशंका के बादल लहराने लगे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामनगर विधानसभा क्षेत्र के शंकरपुर के ताजपुर में बंदरगाह का जो साइट ऑफिस खोला गया है, वहां कोई नहीं रहता.
दो-एक केयरटेकर ही हैं. तीन सुरक्षाकर्मियों में से एक हमेशा तैनात रहता है. हालांकि बंदरगाह के भविष्य के बारे में वहां किसी को कुछ नहीं पता. गत वर्ष दुर्गापूजा के पहले जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ अदाणी समूह के प्रतिनिधियों व प्रशासन के लोगों ने इलाके के दौरा किया था. बंदरगाह के कुछ प्रस्तावित इलाकों को उन्होंने देखा था. इसके बाद जमीन की सीमा निर्धारित करके झंडे भी लगाये गये थे. हालांकि बंदरगाह की अब क्या स्थिति होगी, इसे लेकर सत्ताधारी दल का स्थानीय नेतृत्व भी चिंतित है.
गत वर्ष 12 अक्तूबर को गौतम अदाणी के बेटे करण अदाणी के हाथों ताजपुर बंदरगाह निर्माण का सहमति पत्र मुख्यमंत्री ने सौंपा था. ग्रीनफील्ड प्रौद्योगिकी के तहत निर्मित होने वाले इस बंदरगाह में 15 हजार करोड़ का खर्च आयेगा. इसके अलावा आधारभूत ढांचे के तहत और 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश करना होगा. रामनगर के विधायक व मंत्री अखिल गिरि ने कहा कि राज्य का विपक्ष विकास नहीं चाहता. वे केवल विरोध करते हैं. मुख्यमंत्री का लक्ष्य बंगाल को विकास की राह पर ले जाना है. जिन लोगों ने बंदरगाह बनाने की जिम्मेदारी ली है, हमें आशा है कि वे बनायेंगे.
भाजपा नेता व रामनगर के विधायक स्वदेश नायक ने कहा कि राज्य सरकार अकेले कभी भी बंदरगाह नहीं बना सकती. इसके लिए उसके पास आधारभूत ढांचा ही नहीं है. बार-बार बंदरगाह बनाने के नाम पर और उद्योग स्थापित करने के नाम पर रामनगर के लोगों के साथ झूठ बोला जा रहा है. केंद्र सरकार को अंधेरे में रखकर काम किया जा रहा है. पूर्व मेदिनीपुर के जिला माकपा सचिव मंडली के सदस्य आशीष प्रमाणिक ने कहा कि वह पहले से कह रहे हैं कि ताजपुर बंदरगाह के नाम पर राज्य सरकार जिले के लोगों को झूठी आशा दिखा रही है.