‘मेरा सिर भी काट देंगे तो भी 105 % से ज्यादा DA नहीं दे पाऊंगी, बोलीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी
राज्य सरकार के पास फंड ही नहीं है तो डीए कहां से दिया जायेगा. बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री बकाया डीए के मुद्दे पर भड़क गयीं. उन्होंने कहा कि 99 फीसदी और छह फीसदी मिलाकर राज्य में 105 फीसदी डीए दिया जा रहा है
राज्य के सरकारी कर्मचारियों के बकाया महंगाई भत्ते (डीए) को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को शुरू हुए विधानसभा के विशेष बजट सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ‘इससे अधिक’ डीए नहीं दे सकती. उन्होंने कहा : आप अगर मेरा सिर भी काट देंगे, तो भी मैं इससे अधिक डीए नहीं दे पाऊंगी.
राज्य सरकार के पास फंड ही नहीं है तो डीए कहां से दिया जायेगा. बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री बकाया डीए के मुद्दे पर भड़क गयीं. उन्होंने कहा कि 99 फीसदी और छह फीसदी मिलाकर राज्य में 105 फीसदी डीए दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों से सवाल किया, ‘कितना चाहिए? और आप कितने में संतुष्ट होंगे?
गौरतलब है कि बकाया डीए की मांग पर सरकारी कर्मचारियों ने 10 मार्च को काम बंद रखने का फैसला किया है. सोमवार को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी धर्मतला में सरकारी कर्मचारियों के धरना मंच पर पहुंचे और उन्होंने कर्मचारियों के आंदोलन को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की. इधर मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को आदेश दिया है कि वे इस बात पर नजर रखें कि कोई सरकारी कर्मचारी उस दिन (10 मार्च) कैसे काम कर रहा है.
मुख्यमंत्री ने रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को पेंशन का मुद्दा उठाते हुए दावा किया, ‘देश का कोई भी राज्य अब रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन नहीं देता है. सिर्फ हम देते हैं.’ उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पेंशन बंद कर डीए दिया जाये. पेंशन नहीं दी तो राज्य सरकार के पास काफी पैसा होगा. तो मैं डीए दे सकती हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने पर राज्य सरकार द्वारा 20,000 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
सिर्फ यही नहीं, सीएम ने दावा किया कि कर्मचारियों को बढ़ा हुआ डीए देने में राज्य सरकार ने अबतक 1.79 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. उन्होंने कहा, ”वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल से डीए बकाया है. 34 साल सत्ता में रहने के बावजूद तत्कालीन सरकार ने पूरा डीए नहीं दिया था.
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर आर्थिक बदहाली का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार जितना संभव हो रहा है उतना डीए दे रही है. डीए का भुगतान करना अनिवार्य नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों का पैमाना अलग है. राज्य सरकार के कर्मचारियों को अधिक अवकाश मिलता है. दोनों को मिलाने से काम नहीं चलेगा.’ सुश्री बनर्जी ने कहा, “केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतन ढांचा राज्यों से अलग है और केंद्र सरकार कितने दिन की छुट्टी देती है?
हम दुर्गा पूजा पर 10 दिन की छुट्टी देते हैं. मैं छठ पूजा पर छुट्टी देती हूं.” राज्य की वित्तीय कठिनाइयों के बारे में बात करते हुए सुश्री बनर्जी ने कहा, “पैसा नहीं है. आवास, सड़क, 100 दिन के काम का भुगतान नहीं किया जा रहा है. अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के लिए पैसा रुका हुआ है. केंद्र सरकार मनरेगा के बकाये पैसे का भुगतान नहीं कर रही है. ऐसे में हम और डीए नहीं दे सकते.”