2000 से अधिक लोगों को फर्जी वैक्सीन देने वाले देबांजन ने किये हैं बड़े-बड़े कांड, अब हो रहा है खुलासा
कोलकाता में दो हजार से अधिक लोगों को फर्जी वैक्सीन लगवाने वाले देबांजन देव ने बड़े-बड़े कांड किये हैं. उसकी कारस्तानियों का अब खुलासा हो रहा है.
कोलकाताः कोलकाता में दो हजार से अधिक लोगों को फर्जी वैक्सीन लगवाने वाले देबांजन देव ने बड़े-बड़े कांड किये हैं. उसकी कारस्तानियों का अब एक-एक कर खुलासा हो रहा है. देबांजन की गिरफ्तारी के बाद अब तक उसके खिलाफ कम से कम 7 प्राथमिकयां दर्ज हो चुकी हैं. इसमें उस पर धोखाधड़ी समेत कई आरोप लगे हैं.
तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य मिमी चक्रवर्ती की शिकायत और कसबा थाना के एक पुलिस अधिकारी की जांच के आधार पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद देबांजन को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद कोलकाता के न्यू मार्केट थाना में उसके खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज करायी गयी.
पता चला है कि न्यू मार्केट थाना में 15 जून को ही कोलकाता नगर निगम के कमिश्नर की ओर से देबांजन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस पर कार्यक्रमों के आयोजन के लिए परमिशन देने वाले विभाग का लेटरपैड और मोहर चोरी करने के आरोप हैं. बताया जा रहा है कि बाद में उसने फर्जी लेटर पैड और सील-मोहर बनवाकर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया.
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तालतल्ला थाना में भी उसके विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है. सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी उसके खिलाफ आम्हर्स्ट थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करवायी है, जिसमें देबांजन देव पर छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया है. ये तीनों प्राथमिकियां गुरुवार (24 जून) को दर्ज करायी गयी.
शुक्रवार (25 जून) को समाचार लिखे जाने तक 4 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. टेंगरा, कसबा, मोचीपाड़ा और सोनारपुर में उसके विरुद्ध अलग-अलग केस में शिकायत की गयी है. टेंगरा थाना में शिकायत करने वाले एक व्यवसायी ने देबांजन पर 90 लाख रुपये मांगने का आरोप लगाया है, तो कसबा थाना में दो व्यापारियों ने उसके खिलाफ पैसे मांगे जाने की शिकायत की है.
मोचीपाड़ा थाना में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ शांतनु सेन ने देबांजन पर उनके साथ फोटो खिंचवाकर उसका दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. श्री सेन ने कहा है कि एक एनजीओ के लोगों के साथ एक बार वह उनसे मिला था. इसी दौरान देबांजन ने उनके साथ तस्वीर खिंचवा ली और बाद में उसका दुरुपयोग किया. वहीं, सोनारपुर में भी लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड़ करने का आरोप उस पर लगा है.
यहां बता दें कि देबांजन देव खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) का अधिकारी बताता था. उसने अपने दफ्तर के बाहर कोलकाता नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर का बोर्ड तक लगा रखा था. वह अपनी कार पर नीली बत्ती और बंगाल सरकार की झंडी लगाकर चलता था, जिस पर पश्चिम बंगाल सरकार का लोगो भी लगा था.
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ऐसे हुआ फर्जी वैक्सीनेशन कैंप का खुलासा
कस्बा थाना क्षेत्र के एक वैक्सीनेशन कैंप में देबांजन ने जादवपुर की लोकसभा सांसद मिमी चक्रवर्ती को आमंत्रित किया. मिमी ने यहां वैक्सीन भी लगवा लिया, लेकिन इससे जुड़ा कोई मैसेज उन्हें नहीं मिला. तीन-चार घंटे बाद जब सर्टिफकेट भी नहीं मिला, तो उन्होंने आयोजकों से इस बारे में पूछा. आयोजकों ने कहा कि तीन-चार दिन में आपको सर्टिफिकेट मिल जायेगा.
इसके बाद मिमी चक्रवर्ती को शक हुआ. मिमी ने कस्बा थाना को इसकी जानकारी दी. कस्बा थाना के एक सब-इंस्पेक्टर ने मामले की जांच शुरू की और देबांजन को हिरासत में लेकर पूछताछ की. जांच में पता चला कि न तो देबांजन आइएएस अधिकारी है, न ही कोलकाता नगर निगम का ज्वाइंट कमिश्नर. यहां तक कि टीकाकरण कैंप के लिए उसने परमिशन भी नहीं लिया था.
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Posted By: Mithilesh Jha