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लॉकडाउन में काम हुआ बंद तो महाराष्ट्र से 22 दिन पैदल चलकर बिहार पहुंचा युवक

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन में जगह-जगह फंसे लोगों की परेशानियां आए दिन सामने आ रही हैं, वहीं बड़े शहरों में रह रहे मजदूर अपने-अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र के पुणे से 22 दिन पैदल चलकर एक युवक बिहार पहुंचा.

By Rajat Kumar | April 13, 2020 9:25 AM

दरभंगा से शिवेन्द्र कुमार शर्मा की रिपोर्ट : देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन में जगह-जगह फंसे लोगों की परेशानियां आए दिन सामने आ रही हैं, वहीं बड़े शहरों में रह रहे मजदूर अपने-अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र के पुणे से 22 दिन पैदल चलकर एक युवक बिहार पहुंचा.

महाराष्ट्र के पुणे से 22 दिन में पैदल चलकर खगड़िया जिला निवासी उदय सदा रविवार देर रात कमतौल रेलवे स्टेशन पर पहुंचा. उसे देखते ही लोगों ने उससे पूछताछ के बाद उसकी पीड़ा जानकर लोग कोरोना संक्रमण की बात लोग भूल गए. लोगों ने उसे भोजन करवाने और ठहरने की व्यवस्था करवा दी. घर तक पहुंचाने का आश्वासन दिया.रात में भोजन करा मन्दिर परिसर में सोने का इंतजाम कर दिया. सोमवार सुबह उसके चाय और स्नान करने के व्यवस्था करवा दी. इसके बाद उसके दिन के भोजन और घर भेजे जाने की हो रही तैयारी शुरू की गयी है.

उदय सदा ने बताया कि खगड़िया में मछली मारने का काम करता था. इस क्रम में कुछ लोगों ने उसे मुंबई में बिहार के ही किसी ठेकेदार के साथ सड़क निर्माण कम्पनी में काम दिलाने की बात कह कर ले गया था. लॉकडाउन होने से पहले ही काम बंद हो गया था. दो-दिन में नया काम शुरू होने की बात कही जा रही थी. इस बीच पूरे लॉकडाउन हो गया.खाने-पीने और सबसे ज्यादा रहने-सहने की कठिनाई होने लगी. साथ रहने वाले तीन-चार लोग कहीं इधर-उधर चले गए. कहां गए पता नहीं. इसके बाद उसने अपना सामान उठाया और घर के लिए निकल पड़ा.

उदय सदा ने आगे बताया कि रास्ते में कहीं कोई सवारी नहीं मिली. कहीं कुछ खाने को भी नहीं मिल रहा था. भूख-प्यास से हाल बेहाल हो रहा था. कहीं रेलवे लाइन तो कहीं सड़क मार्ग से यात्रा की. अधिकांश जगह सड़क मार्ग से ही यात्रा की. कहीं-कहीं कोई सवारी मिला वह भी थोड़ी ही दूर ले जाकर छोड़ देता था. तीन दिन तक कुछ नहीं मिला, कहीं-कहीं पानी पीकर और पेड़ की छांव में रात बितायी.

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