Dhvaja: सनातन हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि बिना ध्वजा (ध्वज, पताका, झण्डा) के मन्दिर में असुर निवास करते है, इसलिए मन्दिर में सदैव ध्वजा लगी होनी चाहिए . सनातन धर्म की चार पीठों में से एक द्वारका पीठ भारत का एक मात्र ऐसा मन्दिर है, जहां पर 52 गज की ध्वजा दिन में तीन बार चढ़ाई जाती है. आइये जानते हैं ज्योतिर्विद दैवज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी से मंन्दिर में क्यों चढ़ाई जाती है ध्वजा और यह परम्परा कब से शुरू हुई. इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि किस देवता की ध्वजा पर है कौन-सा चिह्न होता है…
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह रक्षा ध्वज है, जो मन्दिर और नगर की रक्षा करता है. ऐसा माना जाता है कि ध्वजा नवग्रह को धारण किये होती है, जो रक्षा कवच का काम करती है. मंदिर के शिखर पर लगभग 84 फुट लंबी विभिन्न प्रकार के रंग वाली, लहराती धर्मध्वजा को देखकर दूर से ही श्रीकृष्ण-भक्त उसके सामने अपना शीश झुका लेते हैं.
प्राचीनकाल में देवताओं और असुरों में भीषण युद्ध हुआ. उस युद्ध में देवताओं ने अपने-अपने रथों पर जिन-जिन चिह्नों को लगाया, वे उनके ध्वज कहलाये. तभी से ध्वजा लगाने की परम्परा शुरू हुई. जिस देवता का जो वाहन है, वही उनकी ध्वजा पर भी अंकित होता है.
प्रत्येक देवता के ध्वज पर उनको सूचित करने वाला चिह्न (वाहन) होता है. जैसे…
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विष्णु- विष्णुजी की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज पीले रंग का होता है. उस पर गरुड़ का चिह्न अंकित होता है.
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शिव- शिवजी की ध्वजा का दण्ड चांदी का व ध्वज सफेद रंग का होता है. उस पर वृषभ का चिह्न अंकित होता है.
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ब्रह्माजी- ब्रह्माजी की ध्वजा का दण्ड तांबे का व ध्वज पद्मवर्ण का होता है. उस पर कमल (पद्म) का चिह्न अंकित होता है.
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गणपति- गणपति की ध्वजा का दण्ड तांबे या हाथीदांत का व ध्वज सफेद रंग का होता है. उस पर मूषक का चिह्न अंकित होता है.
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सूर्यनारायण- सूर्यनारायण की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज पचरंगी होता है. उस पर व्योम का चिह्न अंकित होता है.
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गौरी- गौरी की ध्वजा का दण्ड तांबे का व ध्वज बीरबहूटी के समान अत्यन्त रक्त वर्ण का होता है. उस पर गोधा का चिह्न होता है.
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भगवती/देवी/दुर्गा- देवी की ध्वजा का दण्ड सर्वधातु का व ध्वज लाल रंग का होता है. उस पर सिंह का चिह्न अंकित होता है.
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चामुण्डा- चामुण्डा की ध्वजा का दण्ड लोहे का व ध्वज नीले रंग का होता है. उस पर मुण्डमाला का चिह्न अंकित होता है.
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कार्तिकेय- कार्तिकेय की ध्वजा का दण्ड त्रिलौह का व ध्वज चित्रवर्ण का होता है. उस पर मयूर का चिह्न अंकित होता है.
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बलदेवजी- बलदेवजी की ध्वजा का दण्ड चांदी का व ध्वज सफेद रंग का होता है. उस पर हल का चिह्न अंकित होता है.
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कामदेव- कामदेव की ध्वजा का दण्ड त्रिलौह का (सोना, चांदी, तांबा मिश्रित) व ध्वज लाल रंग का होता है. उस पर मकर का चिह्न अंकित होता है.
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यम- यमराज की ध्वजा का दण्ड लोहे का व ध्वज कृष्ण वर्ण का होता है. उस पर महिष (भैंसे) का चिह्न अंकित होता है.
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इन्द्र- इन्द्र की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज अनेक रंग का होता है. उस पर हस्ती (हाथी) का चिह्न अंकित होता है.
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अग्नि- अग्नि की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज अनेक रंग का होता है. उस पर मेष का चिह्न अंकित होता है.
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वायु- वायु की ध्वजा का दण्ड लौहे का व ध्वज कृष्ण वर्ण का होता है. उस पर हरिन का चिह्न अंकित होता है.
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कुबेर- कुबेर की ध्वजा का दण्ड मणियों का व ध्वज लाल रंग का होता है. उस पर मनुष्य के पैर का चिह्न अंकित होता है.
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वरुण की ध्वजा पर कच्छप चिह्न होता है.
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ऋषियों की ध्वजा पर कुश का चिह्न अंकित होता है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha