अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ने स्पष्ट कहा है कि आतंकी गिरोह जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अफगानिस्तान में नहीं है. कुछ दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के हवाले से खबरें छपी थीं कि पाकिस्तान ने तालिबान से मसूद अजहर को खोजने और पकड़ने का अनुरोध किया है. भारत के विरुद्ध कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले मसूद अजहर को मई, 2019 में संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद ने ‘वैश्विक आतंकवादी’ करार दिया था. यह जगजाहिर तथ्य है कि पाकिस्तान मसूद अजहर समेत कई खतरनाक आतंकियों को दशकों से पाल-पोस रहा है. अजहर और अन्य आतंकियों के पाकिस्तान में होने के कई सबूत हैं तथा उन्हीं आधारों पर उसके खिलाफ पाबंदियां भी लगायी गयी हैं.
आतंक को धन व अन्य मदद के आरोप में उससे सफाई भी मांगी जाती रही है. बहुत संभव है कि वह दुनिया का ध्यान हटाने अपने ऊपर से हटाने के लिए अफगानिस्तान का बहाना बना रहा है. उल्लेखनीय है कि 1999 में एक भारतीय यात्री विमान को अगवा कर यात्रियों को सुरक्षित छोड़ने के बदले आतंकियों ने मसूद अजहर को भारतीय जेल से रिहा करा लिया था. वह विमान तालिबान की राजधानी कहे जाने वाले कंधार हवाई अड्डे पर ले जाया गया था. उस समय भी वहां के सत्ता तालिबान के पास थी. इसमें कोई दो राय नहीं है कि दक्षिणी एशिया में सक्रिय आतंकियों के अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट और तालिबान से संबंध रहे हैं.
विभिन्न गिरोहों के बीच आतंकियों की आवाजाही भी होती रहती है. लेकिन पिछले साल दो दशक बाद सत्ता में वापस आये तालिबान ने पूरी दुनिया को यह भरोसा दिलाया है कि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद और किसी अन्य देश के विरुद्ध हिंसा के लिए नहीं करने देगा. एक साल की अवधि में इस वादे का परीक्षण नहीं हो सकता है, पर तालिबान ने लगातार भारत से सहयोग मांगा है और उसकी प्रशंसा की है. भारत ने भी बड़ी मात्रा में अनाज, दवाएं और अन्य चीजें भेजी हैं. ऐसे में भारत यह अपेक्षा कर सकता है कि तालिबान भारत को अस्थिर करने वाले आतंकियों को समर्थन नहीं करेगा.
पाकिस्तान के अतीत को देखते हुए उसकी इस बात पर भरोसा करना असंभव है कि मसूद अजहर पाकिस्तान में नहीं है. अगर वह चोरी-छिपे अफगानिस्तान गया भी होगा, तब भी उसका स्थायी ठिकाना पाकिस्तान में ही है. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सुरक्षा परिषद में चीन भी तकनीकी बहानों से अजहर का बचाव करता था. बहरहाल, अगर पाकिस्तान को उसके बारे में ठोस जानकारी है, तो उसे तालिबान शासन के सामने रखना चाहिए.