Mangal Dosh Upaay: अगर कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव या द्वादश भाव में मंगल स्थित हो तो यह मंगल दोष या कुजा दोष कहलाता है. इसे मांगलिक दोष भी कहा जाता है, ऐसा मानना है कि इसके कारण वैवाहिक जीवन में दिक्कतें पैदा होती हैं.
यदि किसी पत्रिका के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में यदि मंगल स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष होता है.
मंगल किसी भी राशि में हो यदि उपरोक्त भाव में हो तो मांगलिक दोष लगता ही है और उसका सलूशन करना चाहिए. एक मान्यता यह भी है की मांगलिक दोष 28 वर्ष के बाद समाप्त हो जाती है या उसका प्रभाव कम हो जाता है. हालांकि ये मान्यता भ्रामक है, अनुभव के आधार पर यह सत्य साबित नहीं होता है. हां, यदि मंगल ग्रह पर जो मांगलिक है यदि बृहस्पति का दृष्टि पर है तो मांगलिक ग्रह के एक प्रभाव को कम जरूर करता है मांगलिक दोष समाप्त नहीं होती. क्योंकि हर ग्रह अपने आप में बहुत ही शक्तिशाली होता है और उसका अपना अपना महत्व होता है.
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जब लग्न में ये स्थिति होती है तो जातक का स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी होता है.
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चतुर्थ में मंगल जीवन में सुखों में कमी करता है और पारिवारिक जीवन में कठिनाइयां आती हैं.
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सप्तम भाव में मंगल होने से वैवाहिक सम्बन्धों में कठिनाई आती है.
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अष्टम भाव में स्थित मंगल विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी या ससुराल से रिश्ते बिगड़ जाते हैं.
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द्वादश भाव का मंगल वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, क्षीण आयु, रोग, कलह को जन्म देता है.
कुछ सामान्य उपाय करके मांगलिक दोष को थोड़ा नियंत्रित किया जा सकता है या जिन का विवाह मांगलिक से हो गया है वो इन उपायों को कर के कुछ शांति करने का प्रयास कर सकते हैं-
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सबसे बड़ा उपाय इसके लिए है जातक का आत्म नियंत्रण, अहंकार, क्रोध पर नियंत्रण.
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इसके अतिरिक्त श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें जो पीले कागज़ पर लाल स्याही से लिखी हो प्रतिदिन श्रद्धा से पाठ करें.
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भगवान शिव शक्ति की संयुक्त पूजा करें.
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शिवलिंग पर लाल रंग के पुष्प अर्पित करें.
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लाल मसूर का मंगलवार को दान करें. गुड़ का दान भी कर सकते हैं.
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मंगलवार को मजदूरों को खाना खिलाएं.