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Mangala Gauri Vrat 2023: दूसरा मंगला व्रत तिथि, पूजा विधि, सामग्री और जाानें महत्व

Mangala Gauri Vrat 2023: जिन भक्तों की शादी में देरी हो रही है या उन्हें मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है, उन्हें श्रावण मास के दौरान यह व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि उन्हें मनचाही इच्छा पूरी हो सके. विवाहित महिलाएं भी अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं.

Mangala Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत देवी गौरी को समर्पित है. यह प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है, जो श्रावण माह के दौरान पड़ता है. भक्त व्रत रखते हैं और देवी पार्वती की पूजा करते हैं. दूसरा मंगला गौरी व्रत श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानी 11 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा.

Mangala Gauri Vrat 2023: दूसरा मंगला गौरी व्रत कब

11 जुलाई 2023, मंगलवार

Mangala Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत का हिंदुओं में बहुत महत्व है. मंगला गौरी के इस शुभ दिन पर भक्त व्रत रखते हैं. यह दिन पूरी तरह से देवी पार्वती को समर्पित है. ज्यादातर महिला भक्त व्रत रखती हैं और देवी गौरी की पूजा करती हैं और आशीर्वाद मांगती हैं. ऐसा माना जाता है कि जिन भक्तों की शादी में देरी हो रही है या उन्हें मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है, उन्हें श्रावण मास के दौरान यह व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि उन्हें मनचाही इच्छा पूरी हो सके. विवाहित महिलाएं भी अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं.

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Mangala Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत पूजा सामग्री

भक्तों को ये पूजा सामग्री पहले से तैयार रखनी चाहिए – सोलह श्रृंगार के सामान, फल, देसी घी, दीया, कपास, मिठाई, पान, सुपारी, इलाइची, लौंग, फूल और पंच मेवा. शुद्ध समर्पण और भक्ति के साथ देवी गौरी की पूजा करें.

Mangala Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत पूजा अनुष्ठान

  1. सुबह जल्दी उठें और सभी पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले स्नान करें.

  2. व्रत रखने वाली महिलाएं लाल रंग के कपड़े- सूट और साड़ी पहनने की कोशिश करें.

  3. पूजा कक्ष को साफ करें और एक लकड़ी का तख्ता लें और उस पर देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति रखें.

  4. देवी पार्वती की मूर्ति को सभी श्रृंगार सामग्री से सजाएं.

  5. देसी घी का दीया जलाएं और पूजा के लिए जो भी पूजा सामग्री आपने एकत्र की है उसे अर्पित करें.

  6. अत्यधिक श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत करने का संकल्प लें.

  7. आरती जपकर सभी अनुष्ठान पूर्ण करें.

  8. शाम को व्रत खोलने से पहले भोग प्रसाद चढ़ाएं और फिर व्रत खोलें.

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मंत्र

1. जयंती मंगला काली भद्र काली कपालिनी,

दुर्गा क्षमा शिवधात्रि स्वाहा स्वधा नमोस्तुते..!!

2. सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,

शरण्यै त्रयबिके गौरी नारायणी नमोस्तुते..!!

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